- Mai Kaun hu ?
- क्या मैं शरीर हूं ?
- क्या मैं मन हूं?
- Meri Pahchan क्या है?
- जीवन में हमारी परिस्थितियों के लिए कौन जिम्मेदार है?
- हम आज जहां पर खड़े हैं या खुद की समस्याओं के लिये कौन दोषी है?
- हमारी परेशानियों का मूल कारण क्या है?
- हमारा आत्मविश्वास बार बार क्यों टुटता है ?
आज किसी भी क्षेत्र में सफलता न मिलना कई बातों पर निभर्र करता है। यह तथ्य है, हमारी असली पहचान क्या है? यदि हमें अपनी असली पहचान का पता समय पर हो जाय ,तो हम प्रत्येक क्षेत्र में सफल हो सकते हैं।
मैं कौन हूँ? क्या कभी हमने गहराई से इस प्रश्न पर विचार किया है ? इन प्रश्नों का उत्तर जानने का प्रयास करते है।
- क्या मैं यह शरीर हूं?
- क्या मैं यह मन हूं?
- क्या मैं inner software हूं?
- मेरी असली पहचान क्या है?
- क्या मेरा नाम ही Meri Pahchan है?
- या कहें कि मेरा पद ही मेरी पहचान है?
- क्या मेरा धर्म ही Meri Pahchan है।
- क्या मेरी जाति ही Meri Pahchan है।
- क्या एक पुरुष या स्त्री के रूप में ही, मेरी पहचान है।
हम एक illusion में जी रहे हैं। हम में से अधिकतर अपनी शक्ल को ही अपनी Pahchan बताते हैं। शक्ल हमारी पहचान होनी भी चाहिए , क्योंकि बचपन से ही स्कूल में प्रवेश फार्म से लेकर आधार कार्ड तक में हमारी फोटो लगी रहती है। शायद यही हमारी पहचान है । लेकिन सत्य कुछ और है। क्या है सत्य ? यही हमें जानना है।
Mai Kaun hu? मैं कौन हूं ?
- मैं अच्छा हूं।
- मैं खूबसूरत हूं।
- मैं अज्ञानी हूं।
- मैं मजबूर हूं।
- मैं पढ़ा लिखा हूं।
- मैं अपना ख्याल अच्छे से रखता हूं।
- मैं डर गया हूं।
- मैं शांत हूं।
- मैं ऊर्जावान हूं।
- मैं भाग्यवान हूं।
- मैं शक्तिमान हूं आदि आदि।
- इन प्रश्नों में "मैं" कौन है ?
- क्या जो मुंह जो बोल रहा है?
- क्या मैं शरीर हूं, जो महसूस कर रहा है?
- क्या मैं मन हूं , जो समझ रहा है?
- क्या मैं मन में भरी सूचना हूं ,जो मुझसे बुलवा रही है ?
- क्या आपका नाम आपका "मैं" है?
- क्या आपका ज्ञान आपका "मैं "है ?
- क्या आपका डर आपका "मैं" है ?
- क्या आपका अहंकार आपका "मैं" है ?
- क्या आपका पद आपका "मैं" है ?
- क्या आपका आदि -आदि "मैं" है ?
- मेरा "मैं"ये सभी पहचान नहीं है।
- ये सभी पहचाने हमने बाहर से जोड़ी हैं।
- जैसे "मैं" का अर्थ , हम सभी सबसे पहले अपने नाम से ही लगाते हैं।क्योंकि कि हम सभी को अपने नाम से सबसे ज्यादा लगाव हो सकता है या ये कहें कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी परिचय दुनियांं को अपने नाम से ही कराता है।
- यदि मैं अपना नाम बदल दूं तो क्या मेरा "मैं"भी बदल जायेगा?
- उत्तर है ,कभी नहीं। क्योंकि "मैं" मेरे मेंं निहित है।
- "मैं "का अर्थ न शरीर है, न मन है ।
- न हीं मुंह से कहे शब्द हैं ।
"Mai" ko jaanana hi "khud ko jaanna hai".
Hamaari Khud ki pahchan kya hai?
- क्या तब Hamaari Pahchan हमारी शक्ल,नाम,पद,जाति,धर्म आदि हो सकती है ? थोड़ी देर के लिए हम यह सब कुछ तो भूल चुके होंगे। हम उस समय एक कोरी कापी की तरह होगें। जिस पर कुछ भी नहीं लिखा गया है।
- अब आपको थोड़ा थोड़ा समझ आ रहा होगा कि हमारी कापी अर्थात हमारी memory में जो अब तक सब सूचना लिखी गयी है, उसी को हम अपनी Pahchan से जोड़ रहे हैं।
क्या इस तरह हम अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं,जब तक हमें यह पता ही नहीं हो , कि meri asli pahchan क्या है?
Mai Kaun hu? Inner software ?
- क्या नाम, पद,धर्म, जाति,क्षेत्र,हैसियत मेंं बदलाव होने से मेरे श्वशन तंत्र या सांस लेने का तरीका बदल जायेगा ?
- क्या नाम, पद,धर्म, जाति,क्षेत्र,हैसियत मेंं बदलाव होने से मेरे रक्त परिसंचरण तरीका मेंं बदलाव हो जायेगा या रक्त समूह बदल जायेगा?
- क्या नाम, पद,धर्म, जाति,क्षेत्र,हैसियत मेंं बदलाव होने से मेरे शरीर मेंं कोशिकाओं के बनने में आन्तरिक बदलाव हो जायेगें या शरीर की क्रिया प्रणाली का कार्य बदल जायेगा?
इन सभी प्रश्नों का उत्तर है , "नही "। मेरा "मैं" शाश्वत है।हमने ऊपर जितनी भी Pahchan से अपने"मैं" को जोड़ें रखा है वह सब हमने बाहर से इकठट्ठा की है।
इन सभी बाहरी पहचानों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। हमारा."मैं"ही जीवन है और जीवन ही "मैं" है।
- "मैं" प्रश्न के रूप में छोटा सा लगता है लेकिन सार रूप में यह जीवन है।यही हमारा inner software है।
- यही inner software हमारा "मैं " है , जो हमारे जीवन को चला रहा है।
Khud ki khoj . अपनी पहचान को जानने का सबसे उत्तम तरीका क्या है?
हमारी सांस लेने का तरीका स्वछन्द है।इसे किसी बाहरी पहचान की जरूरत नही है कि आप अमीर हैं या गरीब , उच्च पद पर हैं या निम्न पद पर।
यह "मैं" जो सांस के रूप मेंं आपके अन्दर चल रही है कभी भी फर्क पैदा नही करती है, कि आप कौन है? यही सांस हमारी पहचान है।
इस पहचान को जांनने का सबसे अच्छा उदाहरण है। दो रगं के गुब्बारे एक नीले रगं का व दूसरा पीले रगं का है, और दोनों में हवा भरी गयीं हैं। थोड़ी देर के लिए सोचिये दोनों गुब्बारों में Apni Pahchan को लेकर बहस हो रही है।
- नीले रगं का गुब्बारा पीले रगं के गुब्बारे से कहता है, कि तू पीले रगं का है और तू मेरे जैसा विशाल रगं या सोच का नहीं है। क्योंकि मेरा रगं तो आसमान जैसा विशाल नीले रगं जैसा है। और मैं आसमान मैं इसी कारण उड रहा हूं।
- इसके जवाब में पीले रगं का गुब्बारा भी इतरा कर कहता है। अरे नीले रगं के गुब्बारे सुन, मैं तो पीले रगं का हूं। Meri Pahchan सूर्य के समान है। मैं ऊर्जा से भरपूर हूं। मैं तेरे से बड़ा हूं और दूर आसमान तक मेरी पहुंच है।
- अब बतायें कि कौन सा गुब्बारा सही है? इनकी बहस के बीच में कहीं से बच्चों ने आकर दोनों गुब्बारों को पकड़ कर फोड़ दिया।
- अब दोनों गुब्बारे जमीन पर बिखरे पड़े थे। अब आप ही बताएँ सच क्या था , जो दोनों गुब्बारों आसमान मे उडा रहा ? सच कुछ और था। गुब्बारों के अन्दर भरी हवा का ही सब जादू था। जो गुब्बारों को आकार देने के साथ ही आसमान में उडा़ रही थी।
गुब्बारों की असली पहचान हवा थी ,ठीक वैसे ही हमारी Asli Pahchan है inner software जो हर समय हमें बना रहा है।
शरीर तो मात्र गुब्बारों की तरह एक मिट्टी का आवरण है । इसे तो एक दिन मिट्टी में ही मिलना है। तो हमारा असली व्यक्तित्व क्या है ? मैं अब आपके सामने एक प्रश्न रख रहा हूँ। हमें अपने आवरण पर ध्यान देना है, या Asli Pahchan पर । गहराई में यदि हमें अपने व्यक्तित्वव का विकास करना है ,या अपनी समस्याओं के हल निकलने है तो हमें अपनी असली पहचान inner software पर काम करना चाहिए।
मैं बाहरी आवरण से परे एक ऊर्जापुंज हूं जिसे हम lifesoftware कह सकते हैं, जो न कर्ता है और न भोक्ता है।
हमेशा जैसा हम चाहते हैं,हर समय वैसा नहीं होता है। हमें यदि अपने हिसाब से अपनी दुनियां का मालिक बनना है तो, हमें पहले Apni asli Pahchan को develop करना होगा।
Khud ki Asli Khoj Kya hai?
हमें अपने आवरण पर ध्यान देना है, या Asli Pahchan पर । गहराई में यदि हमें अपने व्यक्तित्वव का विकास करना है ,या अपनी समस्याओं के हल निकलने है तो हमें अपनी असली पहचान inner software पर काम करना चाहिए।
मैं बाहरी आवरण से परे एक ऊर्जापुंज हूं जिसे हम lifesoftware कह सकते हैं, जो न कर्ता है और न भोक्ता है।
हमेशा जैसा हम चाहते हैं,हर समय वैसा नहीं होता है। हमें यदि अपने हिसाब से अपनी दुनियां का मालिक बनना है तो, हमें पहले Apni asli Pahchan को develop करना होगा।
आइए एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं। 100 रूपये का नोट की Asli Pahchan kya है?100 रूपये का नोट या क्या पता चलता है।
एक बच्चे के हाथ में 100 का नोट दे दिया जाए तो वह उसे फाड़ देगा , क्योंकि उसके दिमाग में अभी यह नहीं बैठा है कि, इस कागज के टुकड़े की कुछ कीमत है या यह मूल्यवान है । उसे तो यह केवल कागज का टुकड़ा लगता है।
- क्या यही सच्चाई है, या सच्चाई कुछ और है ?
- क्या 100 रूपये का नोट एक कागज का टुकड़ा है। इसे फाड़ भी दिया जाए तो क्या होगा?
- क्या आप कुछ कह सकते हैं?
- हमारे दिमाग में यह बताया गया है कि इस 100 रूपये के कागज़ के टुकड़े की वैल्यू है। इससे आप अपनी जरूरत का सामान खरीद सकते हैं।
- यहां तक तो ठीक है, जब जरूरत के सामान खरीदने की बात है, लेकिन आप लोग इस टुकड़े से खुशियां खरीदने जा रहे हैं।
- क्या यह सच में सही है ? सत्य तो कुछ और है । रुपए की Asli Pahchan kya है ? अनपढ़ आदमी भी जानता है कि 100 रूपये का नोट धन है, लेकिन उसे यह पता नहीं किस की असली value इस नोट में नहीं है, बल्कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा , नोट के बराबर सोना अपने पास रखा हुआ है।
- इस कागज के नोट पर गवर्नर द्वारा साइन किए हुए तब वह कागज का टुकड़ा धन बना और मूल्यवान बना है।
- अब आप समझ गए होंगे कि वैल्यू तो कहीं और है। असली चीज तो कहीं और है , इसी तरह हम भी इस दुनिया में कागज के नोट की तरह है। हमारी वैल्यू हमारे अंदर है , तभी इस बाहरी आवरण की वैल्यू है।
- जिस दिन हमारे अंदर की अंदर की inner software काम करना बंद कर देगा बाहरी आवरण अर्थात शरीर की value खत्म हो जाएगी।
इस स्थिति में हमें किस बात पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए या अपने शांत जीवन और खुशी जीवन के लिए ज्यादा dependent किस पर होना चाहिए। यह आपका अपना निर्णय है।
- हम स्वयं में जीवन हैं।
- इस शरीर के माध्यम से ही हमें सब कुछ पता चलता है।
- इस शरीर के माध्यम से ही हम अपने अनुभव महसूस करते हैं।
- मन के स्तर पर हमारी सोच को कौन चलता है।
- लेकिन शरीर व मन के पिता कोई और है, जिसे हमें inner software कह सकते हैं ।
अब आप जान गये होगें कि हमारी पहचान क्या है । हमें अपनी खुशी, शान्ति, सफलता, व्यक्तित्व के लिए किस पर focus करना चाहिए यह आपका अपना निर्णय है।
Inner software को जानना ही Khud ki khoj karana है।
- Result बदलने के लिए हमें अपना तरीका बदलना होगा।
- सोच का तरीका बदलना होगा।
- वह way of living बदलना होगा तब जाकर हमें कुछ अलग परिणाम मिलेंगे।
- यदि हम अपने inner software को पहचानना है तो हमें अपने जीने का तरीके में बदलाव करना होगा।
- जीने के तरीके में बदलाव करना इतना आसान काम नहीं है। बदलाव करने में समय लगता है। जीने के तरीके में बदलाव से पहले अपने सोचने का तरीका बदलना होगा।
- हमारा दिल 1/2 सेकेण्ड का आराम लेकर हमारे शरीर मेंं रक्त की आपूर्ति करता रहता है और कभी भी रूकता नही है। क्या दिल को क्या हमारी बाहरी Pahchan चला रही है ? या व्यक्ति विशेष के लिए अलग-अलग है ? उत्तर है नही।
- भोजन पचाने से लेकर सांस लेना, रक्त को पंप करना कोशिकाओं का बनना, चोट लगने पर अपने आप ठीक होना आदि कई ऐसे कार्य हैं, जिन्हें हमें करना नहीं पड़ता है।
- शरीर Function स्वयं करता है।
- यह तो साफ पता चल गया कि मेरी बाहरी पहचान रंग-रूप के अलावा आन्तरिक Pahchan भी है। जो हमारी मुख्य पहचान है।
- यही हमारा व्यक्तित्व है। यही हमारा भाग्य का निर्माण करता है। यही हमारा Inner life Software है।जिसे हम "मैं" कहते हैं।यही khud ki khoj है।
Mai ka Aarth : "मैं" का अर्थ :
- मैं आत्मस्वरूप हूं।
- मैं मौन हूं।
- मैं निरंजन हूं।
- मैं स्वयं ज्ञान हूं।
- मैं साक्षी भाव हूं।
- मैं प्रकृति से परे हूं।
- मैं और अस्तित्व एक हैं।
- मैं इस अस्तित्व में शामिल हूं।
- मैं इस अस्तित्व की एक छोटी इकाई के रूप में हूं।
- मैं का सामान्य सा अर्थ है "मैं " कर्ता नहीं हूं।
- यह अस्तित्व अपने विशिष्ट नियमो से चल रहा है। जैसे गुरुत्वाकर्षण का नियम दिखता नहीं है लेकिन है।
- यही मैं से मुक्त होने की प्रक्रिया हैं।
- यही से "मैं "को जानने की यात्रा शुरू होती है।
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