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Overthinking control kare in 5 best easy way in hindi

Overthinking control kare in 5 best easy way (hindi) (ओवरर्थिंकिंग को कण्ट्रोल करने के 5 best easy way).  

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हम ऐसी भौतिक  दुनिया में जी रहे हैं ,  जहां पर हम में से प्रत्येक व्यक्ति कभी न कभी   overthinking  की समस्या से ग्रस्त रहा है। हम में से अधिकांश  कभी न कभी ओवरथिंकिंग (Overthinking)  को  Control  नहीं कर पाए हैं।

मैं  भी overthinking (ओवरथिंकिंग) की समस्या  से ग्रस्त रहा हूं। मैं  आपके साथ overthinking control kaise kare  पर अपना अनुभव एवं प्रयोग  5 best easy steps के साथ  साझा कर रहा हूँ। आशा है, मेरे इन प्रयोगों का आप भी लाभ ले  कर अपनी  कुछ हद तक overthinking  ki problem ko control kar sakte hain . 

इन 5 best easy ways से   overthinking  को कम कर सकते हैं और overthinking को हमेशा के लिये बंद कर सकते हैं।

Overthinking meaning in Hindi .

(Overthinking ) ओवरथिंकिंग  दिमाग के स्तर पर शुरू होती है और overthinking का अर्थ है ,
  • दिमाग में बार-बार एक ही विचार आना। 
  • लगातार सोचते रहना।
  • किसी के बारे में जरूरत से ज्यादा ही सोचना।
  • दिमाग में गलत विचार बार -बार आना और परेशान होना ही overthinking है। 
जब हमारे दिमाग की  मेमोरी वाला हिस्सा और सोचने वाला हिस्सा दोनों साथ-साथ काम शुरू कर देते हैं, तो एक उधेड़बुन शुरू हो जाती हैं। 
  • और हम अतीत की यादों की जो मेमोरी है, उस पर विचारों के लेवल लगाकर अपने को सही साबित करने पर तुले रहते हैं।  
यहीं पर Overthinking शुरू हो जाती है। ज्यादा सोचने  से हम  कहीं ना कहीं  खुद को ही डैमेज कर रहे होते हैं। 

Overthinking : ओवरथिंकिग  कैसे शुरू होती है ?

अभी आपने  ऊपर  देखा कि Overthinking दिमाग के स्तर पर शुरू होती है।  इसलिए Overthinking  ko control  करने का हल भी दिमाग के पास ही है। (Overthinking) ओवरथिंकिंग दिमाग के स्तर पर ही खत्म होती है।

Overthinking  धरातल पर नहीं होती है,यह तो सॉफ्टवेयर के रूप में VIRUS की तरह है।  दिमाग के सॉफ्टवेयर में VIRUS रूपी विचार जब बाहर  प्रवेश कर जाता है, तो  यह VIRUS रुपी विचार   चेतन मन के स्तर पर बार बार सोचना शुरू कर देता है । 

जब हमारा चेतन मन  तर्क- कुतर्क  करके इस VIRUS रुपी विचार को फ़िल्टर लगाकर अवचेतन मन को दे देता है। 

अवचेतन मन  इस वायरस रुपी विचार को सेवक की तरह स्वीकार कर  अपने मेमोरी में stored कर लेता है और Overthinking ki problems  को जन्म देता है। इस कारण   हमारे शरीर में  अन्य बीमारियों का  जन्म होता है। ।

(Overthinking )ओवरथिंकिंग  के अन्य कारण  भी हैं, जैसे हम सूचना क्रांति के युग में है। 
  • यहां पर सूचना पर सूचना कई माध्यमों से प्रसारित हो रही है और हम अपने दिमाग को डिक्शनरी बना रहे हैं।चाहे सूचना कुछ भी हो , गलत हो या सही हो हमारा मन लगातार सग्रह करता रहता है।
  • हम चतुर चालाक बनना चाहते हैं ,पर बुद्धिमान नहीं,चालाकी और बुद्धिमान में बहुत फर्क होता है।  यही से  overthinking   शुरू  होती है। कयोंकि आज सभी चतुर चालाक बनना चाहते हैं  
आइये  overthinking  kaise Control  kare या  Overthinking kaise band kare पर चर्चा करने से पहले  परिस्थितियों के बारे में थोड़ा जान लेते है।  

हमारा जीवन एक खेल की तरह है। इस खेल में खिलाड़ी की भूमिका कौन निभाता है? कभी सोचा है आपने ? हम तभी सोचना या समझना शुरू करते हैं, जब कार्य या स्थितियां हमारे हिसाब से नहीं होती है। 
  • जब विपरीत परिस्थितियां आती है तो, हम परेशान हो जाते है।जबकि परेशानियों के हल  हमारे  ही अंदर  मौजूद हैं ।परिस्थितियां तो हमें बनाती हैं और हमें बताने एवं समझाने का प्रयास करती है,कि हम कौन हैं? या हमें क्या करना  चाहिए ?  
Overthinking Kills your happiness in work place.Work place  में सहयोगियों द्वारा उचित व्यवहार न करना भी overthinking  का एक मुख्य कारण हो सकते हैं।

 Past  men Jeena : Overthinking  का एक मुख्य कारण  है। 

(Overthinking) ओवरथिंकिंग का एक मुख्य कारण  है , हमारे मन में बैठी  अतीत की यादें। हमारा अतीत के बारे में सोच कर परेशान होना और Overthinking की  समस्या को बढ़ाता है। 

Feature की चिंता भी overthinking  है। हम अधिकतर  या तो अतीत की यादों में जीते हैं या फ्यूचर के बारे में सोच सोच कर परेशान होते हैं। बस यही हमारी  Overthinking की problem है।  
  • आप ही बताएं , कि क्या आप अपने Past को बदल सकते हैं ? 
  • क्या आप अपने Past में  जा सकते है? 
  • यह शारीरिक तौर पर संभव नहीं है पर मन  के स्तर पर  अतीत की यादों में झांक सकते हैं।  यही हमारी Overthinking की  समस्या है।  
  • अतीत कभी वापस नहीं आता है।   बस हमारा एक विचार अतीत की यादों को  कुरेदकर Overthinking की  समस्या को शुरू कर देता है।   
हमारा  दिमाग एक खिलाड़ी की भूमिका में होता है। कभी यह परफेक्ट तरिके से खेलता है और कभी over react  करता है।  

मैं इस ब्लॉग के माध्यम  से अपना अनुभव साझा करने जा रहा हूँ , कि  अपने अवचेतन मन की शक्ति से   kaise  overthinking ko control  kare  . क्योंकि दिमाग एक सर्वश्रेठ  खिलाड़ी है । मोटे तौर पर हम दिमाग को दो भागों में बांट सकते हैं। 
  • एक चेतन मन और 
  • दूसरा अवचेतन मन मे  । 
आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। कौन सा मन हम पर ज्यादा हावी रहता है ? या कहें कि हमें कौन सा मन चलाता है?  

इस प्रश्न का उत्तर  हमारी पहचान को कुछ हद तक बता सकता है। प्रत्येक व्यक्ति  का जो पिछला अनुभव है उसी के अनुसार वह उत्तर देता है।
प्रत्येक  व्यक्ति का उत्तर अलग-अलग होगा कुछ लोग जो पांच इंद्रियों के खेल को जानते हैं   वह कह सकते हैं, कि चेतन मन प्रभावी है 
  • कुछ लोग जो योग तथा  अध्यात्म  प्रक्रिया की ओर अग्रसर है, वे कहते हैं कि अवचेतन मन ज्यादा प्रभावी है।
मेरे हिसाब से दोनों ही उत्तर सही हो सकते हैं। क्योंकि हमारी परवरिश इसी प्रकार से हुई है । 
हमने अपने माता-पिता गुरुजनों तथा बड़ों से जो ज्ञान तथा सूचना अर्जित किया है , वही हम से परिलक्षित होता है। आइये उत्तर जानने से पहले दोनों मनों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।

चेतन मन

इस समय में जो लिख रहा हूं । कोई भी कार्य भौतिक जीवन में कर रहा हूं।  सारा का सारा ज्ञान पांच इंद्रियों के माध्यम से हमारे चेतन मन द्वारा ग्रहण किया जा रहा है , तथा सूचना के रूप में ज्ञान का सग्रह मन में हो रहा है। चेतन मन हमारे दिमाग का द्वारपाल है, जो हमेशा सूचना स्वीकार करता रहता है।
  • चेतन मन को जो सूचना भौतिक जीवन के आधार पर सही एवं  तर्कपूर्ण लगती है, उसे स्वीकार कर करता है और अवचेतन मन को भेज देता है।
  • हमारा चेतन मन वही ग्रहण कर रहा है। जो हमें प्रतिदिन सुबह से लेकर रात तक पांच इंद्रियों के माध्यम से  बताया जा रहा है।
  • overthinking   हमारे चेतन मन में शुरू होती है। 
इसमें मुख्य भूमिका में टीवी न्यूज़ ,मोबाइल, सोशल नेटवर्किंग, इंटरनेट एवं हमारे आसपास का समाज है । इन माध्यमों  से  जो कुछ भी बताया जा रहा है , हमारा चेतन मन एक सेवक की तरह सूचना को ग्रहण करता है । 

ना चाहते हुए भी हर प्रकार की सूचना जो कई माध्यमों से हम तक पहुंचती है, चेतन मन द्वारा स्वीकार कर ली जाती है। 
  • यह सूचना  डर, अवसाद ,तनाव, खुशी ,गम के विचार को पैदा कर.सकती है । 
  • चेतन मन सूचना को फिल्टर करने के बाद अवचेतन मन को ट्रांसफर कर देता है। हमने  भौतिक जीवन में पांच इंद्रियों तक ही अपने आप को सीमित किया हुआ है , और हमारे ज्ञान प्राप्त करने का आधार भी यही  है। यही विज्ञान भी कहता है।
  • work pressure and work  place में कई साड़ी समस्याओं की जड़ भी चेतन मन में ही होती है। 
क्या इससे पार पाने का कोई समाधान है? उत्तर हां में है। इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले आइए हम अब  अवचेतन मन की बात करते हैं ।

अवचेतन मनः

मन की कार्य प्रणाली पर ध्यान दें तो मन की कार्यप्रणाली को मोटे तौर पर दो अनुपात में बांट सकते हैं। चेतन मन  भौतिक जगत में  जीवन यापन करने के लिए बहुत आवश्यक है। 

कार्य प्रणाली के आधार पर यह लगभग दिमाग का 10 % तक भाग हो सकता है।और हम सभी मात्र चेतन मन को ही दिमाग मान लेते हैं। इसी 10% चेतन मन पर ही विश्वास करते हैं। 

यहीं  हमारी सबसे बड़ो गलती  हैं। जबकि अवचेतन मन का , कार्य प्रणाली के आधार पर यह लगभग दिमाग का  90 %  काम करता है। मेरे निम्न प्रश्नों का उत्तर आपके पास हो सकता है ।                                                       
  • हम हमेशा सांस लेते हैं या हमको सांस लेना पड़ती है ?
  • हमारा भोजन स्वयं पच जाता है या भोजन को पचाना पड़ता है ?
  • हमारा दिल स्वयं धड़कता है या इसको धड़काना पड़ता है?
  • हमारा उत्सर्जन तंत्र स्वयं काम करता है या इसको काम कराना पड़ता है?
  • हमारा रक्त परिसंचरण तंत्र स्वयं रक्त का परिवहन करता है या इसको यह कार्य कराना पड़ता है ?
इन  सारे प्रश्नो को हमारे हमने मोटे तौर पर लिए हैं। जिससे अवचेतन मन को समझने में आसानी  होगी।  आप इन प्रश्नों के उत्तर भली-भांति जानते हैं।  
  • क्या कभी हमने गहराई में सोचा है , कि ऐसे कैसे होता है? यह सब विज्ञान पर आधारित बातें हैं।  ये सभी कार्य हमारे अवचेतन मन द्वारा बिना रुके  रात बिना अच्छी तरह से संचालित होते रहते हैं।  और हमें पता भी नहीं चलता है। 
  • इतना आप समझ गए होंगे कि अवचेतन मन हमारे शरीर के 90% अंगो का संचालन कर्ता  है। बिना  हमारी  जागरूकता के अवचेतन मन का इनर  सॉफ्टवेयर हर दिन ही कोशिकाओं का निर्माण करता रहता है। 
यूं कहें कि हमारी भलाई के लिए अवचेतन मन दिन-रात काम पर  लगा रहता है, तो क्यों ना अवचेतन  मन के इस सेवक का गुण का उपयोग कर Overthinking control  करने  में किया जाय। 

हमारा अवचेतन मन एक सेवक की तरह है। इसकी अपनी कोई मर्जी नहीं होती। इसे चेतन मन द्वारा जो काम या सूचना छानकर कर दी जाती है, उसी सूचना को  यह आसानी से स्वीकार करता है। चाहे सूचना सकारात्मक हो या नकारात्मक इसके लिए दोनों ही समान है।
  • सूचना ग्रहण करने पर यह कार्य करता है और शरीर की कोशिकाओं को सूचना प्रेषित प्रेषित करता है। वैसे भी हमारे शरीर की सभी क्रीयायें आंतरिक तौर पर अवचेतन मन के प्रभाव में हैं।
अब आप समझ गए होंगे, कि अवचेतन मन को चेतन मन द्वारा तर्क विश्लेषण करके जो विचार दिया जाता है उसी विचार पर  अवचेतन मन कार्य करता है। 

Overthinking control karne  का आसान तरीका है।अपनी Overthinking ki problems को अवचेतन  मन  के हवाले कर देना है। 
 

Overthinking ke lakshan :(ओवरथिंकिग के लक्षण)

मन एक ताश की गड्डी की तरह है:   Ak hi vichar bar bar aana   जैसे कह सकते हैं कि, हमारा मन या दिमाग  एक ताश की गड्डी की तरह है। गड्डी  में 52 पत्ते होते हैं। 

गड्डी को  को हम दिमाग समझ लें और 52 पत्तों को हम सूचनाएं समझ लें , तो 52 सूचनाओं को हम लगातार फेट  रहे हैं। 
  • इन  सूचनाओं को लगातार फेटते रहने से हमको ऐसा लगता है , कि हमारा मन इधर उधर भाग रहा है।
  •  यही सबसे बडा झूठ है, कि मन  चंचल है। 
  • जबकि ऐसा नहीं है । हम ही  मन को चला रहे हैं। अर्थात हम , मन या दिमाग से सूचनाओं को प्राप्त  कर  रहे हैं, और उनको महसूस कर रहे हैं , अनुभव कर रहे हैं । 
  • इसी प्रकार से हम मन को बदनाम भी कर रहे हैं , कि मन चंचल है, काबू में नही आता। 
  • जबकि मन शरीर का एक भाग है,  और यह अपनी जगह पर ही रहता है। हम सूचनाओं को लगातार अदला-बदली कर याद करते रहते हैं। और हम  overthinking  के लक्षण   की ओर बढ़ते  जाते है। 

Overthinking ke karan Parbhav:   ओवरथिंकिग के कारण व प्रभाव : 

आप और हम Overthinking  की वजह से आज Psychosomatic Disease का शिकार बनते जा रहे हैं। सूचना के युग में हम अपने मन को कचरे का ढेर बनाते जा रहे हैं।

  • परिणाम स्वरूप शरीर में Adrenaline Harmon's ज्यादा मात्रा में release हो रहा हैं। और हमारा inner immune system  पर कहीं न कहीं फर्क पड़ता है। हम ऊर्जा एवं उत्साह को खोते जा रहे हैं।

  • हम पर हमेशा हमारा, अतीत शासन करता रहता है। हम अपने अतीत में इतने चिपके रहते हैं, कि वर्तमान क्षण में हमेशा अतीत को ही अपने ऊपर हावी होने देते रहते हैं । और अपने  वर्तमान क्षण में अपने अतीत की यादों के  बीज को दोबारा वर्तमान में बो देते हैं।

  •  फिर भविष्य में इसकी फसल काटते हैं , अर्थात जो हमारे साथ पहले अतीत में घटित हुआ है,  वहीं आपको पुनः भविष्य में फल के रूप में प्राप्त होगा। 
  •  यही चक्रीय क्रम लगातार चलता रहता है। और हम एक कोल्हू के बैल की तरह वहीं पर घूमते रहते हैं। और सोचते हैं कि एक लंबा सफर तय कर लिया है ।  अपने साथ घटित घटनाओं के लिए भगवान को दोष देते रहते हैं।

Kaise Overthinking  control  kare ? Overthinking se kaise bache ?

1:Thought Process (Sochne ki Aadat )  को बदलना : 

उदाहरण के रूप मे 10 वर्ष पहले यदि हमने एक आम का बीज बोया और भविष्य मे आम खाने का सपना सजोये रखा । 

लेकिन 10 वर्ष बाद आम के पेड़ पर किसी कारण वश आम नहीं लगते हैं । तो गलती के लिए कौन जिम्मेदार है? हम या भगवान? और हम लगातार प्रतिक्रिया करते रहते है, दोष मढ़ते रहते हैं। कभी दूसरों पर तो कभी अपनी किस्मत पर ।
  • क्या यह सही है? बीज से पेड़ बन चुके  पेड़ पर  आम नहीं लगते हैं ,तो क्या आप अपने किए कर्म को या उस पेड़ को भला-बुरा कहेंगे । 
  • यह एक मूर्खतापूर्ण सोच होगी ।लेकिन अगर आपको फिर भी आम खाने हैं,तो आपको आज वर्तमान में एक अच्छे किस्म का आम का पौधा लगाना होगा,जो कि भविष्य में फल दे।
  • Past  में जा नहीं सकते,  future अभी दूर हैं ,  तो Present  ही हमारे पास है। इसी  प्रकार प्रकार वर्तमान क्षण में ही हमें अपने मन तथा शरीर पर कार्य करना होगा। जब ओवरथिंकिंग मन के स्तर पर है, तो थॉट प्रोसेस को ही बदलना होगा। 
    सही काम करने के लिए कभी भी ज्यादा ऊर्जा ,समय तथा पैसे की आवश्यकता नहीं होती है। बस धैर्य,विश्वास, शांति और प्रेम की भावना की आवश्यकता होती है।
    • माफ करना , धन्यवाद देना चाहे अच्छा हुआ हो या बुरा हुआ हो।  इस प्रकार के थॉट प्रोसेस आपकी Overthinking control kar सकते हैं है हमेशा के लिए  बंद कर सकते हैं। 

Stop Overthinking:


2:Living in the present moment 

आज आपका जो भी व्यक्तित्व है,  वह अतीत की यादों के  अनुभव व सोच  से बना है । 

  • यही मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी यह है ,कि वह अतीत का कड़वा अनुभव हमेशा याद करता रहता है। जबकि उसके साथ अतीत में  बहुत बार अच्छा घटित हुआ होता है ।
  • प्रत्येक क्षण हमारी हजारों लाखों  कोशिकाएं बदल रही हैं, लेकिन हम हैं कि एक अतीत का कड़वा विचार अपने दिमाग में लगातार फेट  रहे हैं, जबकि पल-पल बदल रहा है।
  • प्रत्येक क्षण हमारा सबकॉन्शियस माइंड वर्तमान को ही समर्पित है। वर्तमान में एक क्षण में जीना ही अपनी Overthinking  ko  control करने का सूत्र है।
हम Past को बदल नहीं सकते। future को बदलना है ,तो आज को बदलना होगा। ओवरथिंकिंग की प्रॉब्लम हमारे  दिमाग के स्तर पर  है। 
  • इस ओवरथिंकिंग को  मुझे ही control  करना है। 
  • कैसे प्रत्येक क्षण का आनंद उठाना है? 
  • प्रत्येक सांस को अंतिम सांस मानना है। 
  • प्रत्येक क्षण को भरपूर जीना है। क्योंकि प्रत्येक क्षण Past या  इतिहास बन रहा है। 
  • इसलिए ऐसा जीना है , जैसे आपको आज ही जीना हो और कल मर जाना है। 

प्रत्येक प्रत्येक क्षण का  बदलाव ही आने वाले कल का परिणाम देगा।  यदि हम प्रत्येक पल को आनंद से व्यतीत करते हैं,तो इसका तात्पर्य है , कि  हमारा Subconscious mind  ज्यादातर एक्टिव है।

यदि हमारा  Subconscious mind एक्टिव है,तो हमारा आने वाला कल  सुख और आनंद से व्यतीत होगा एवं हम overthinking control करके  नयी दिशा में  आगे बढ सकते हैं।

3:अवचेतन मन की शक्ति से ओवरथिंकिग (Overthinking) को control करे:  Overthinking ko kaise roke.

Way of living  को बदल कर subconscious mind को positive instructions देना।
जब हम अवचेतन मन को सेवक  कह रहे हैं, तो क्यों ना हम अपने सेवक  को  वहीं सूचना दें  , जो हमारा दिमाग या हमारे शरीर  लिए फायदेमंद हो। समस्या को हल करने का जवाब निम्नलिखित हो सकते है।

 पहला तरीका है

यदि आप अपने जीवन में जो भी सकारात्मकता  चाहते हो,खुशहाली , सफलता आदि को चाहते हो तो आप अपने अवचेतन मन को बार-बार यह कहकर विश्वास दिलाना होगा कि आप खुशहाल हैं , सफल हैं , शांत हैं,  ऊर्जा से भरपूर हैं । 

बार बार सकारात्मक वाक्यों को दुहराने से अवचेतन मन इन शब्दों को स्वीकार कर लेता है, परिणाम स्वरूप हमें फल देता है।

 दूसरा तरीका है

अपने मन को गुलाम समझो और  उसे कार्य करने को दे दो। जब आपकी  परिस्थितियां आपके हाथ में ना हो तो उन्हें अवचेतन मन के हवाले कर दें। लेकिन बड़ी शिद्दत एवं विश्वास के साथ यह कार्य करना चाहिए। 
  • अवचेतन मन से प्रार्थना करें कि आप सब तेरे हवाले हैं।
  • तू ही मुझे मरी परेशानियों के हल बतायेगा। ऐसा  विश्वास पैदा करना है। 
  • बड़े प्रेम व भावना के साथ अवचेतन मन से आग्रह  करें । 
  • अवचेतन मन के  सामने समर्पण कर दें तो वह जरूर आपकी प्रार्थना पर काम  करेगा।  लेकिन विश्वास होना जरूरी है। जैसे आपको विश्वास होता है कि मैं कल जिंदा रहूंगा ।

संपूर्ण विपरीत परिस्थितियों व समस्याओं का हल बाहर नहीं है । समय के साथ हम  केवल जीवन जीने के तरीके को बदल कर अपने इन्नर  सॉफ्टवेयर पर विश्वास करके हमें परेशानियों के  हल अपने अंदर से ही मिलने शुरू हो जाते  है ।
  • वर्तमान क्षण में प्रत्येक क्षण में सुख, आनंद , शांत एवं परमानंद के विचारों को लगातार सबकॉन्शियस माइंड को देते रहना एक आदत बना देने से  , परिणाम में हमारा व्यक्तित्व और भाग्य बनता  है।
  • Subconscious mind  हमारे inner system को मजबूत करता है । हम कई प्रकार की बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं ।
  • अपने को प्रत्येक क्षण भाग्यशाली माने।
  • प्रत्येक क्षण को ऐसा जीना है कि यह छण दोबारा प्राप्त नहीं होगा।
सबकॉन्शियस माइंड एक्टिव है , तो हम Inner Strength  को मजबूत करके अपने Overthinking  ko control  कर सकते हैं।  

यदि प्रत्येक क्षण वर्तमान में जीने की आदत डालते हैं,  तो हम भविष्य में अवसाद, तनाव ,बीपी, हाइपरटेंशन जैसी साइकोसोमेटिक बीमारियों से निजात पा सकते हैं।

4: Vicharon par viram lagana: विचारों पर विराम लगाना। 

हमें विचारों पर विराम लगाना नहीं आता है। हमने बचपन से जोड़ के सवालों में कैरी जोड़ना सीखा है। 
  • जोड की प्रक्रिया को  अपने subconscious mind मे imprint  कर देने देने से हम अपने जीवन में प्रत्येक घटना को जोड़ की तरह देखते हैं।
  • मन में एक विचार उत्पन्न होता है ,तो उससे सम्बन्धित विचार को carry forward  करते रहते हैं और विचारों को जोडते रहते हैं। 
  • एक विचार दिमाग में उत्पन्न होने पर उसके संबंधित अन्य बिचार जैसे डर, जलन ,नकारात्मक विचारों को हम कैरी फॉरवर्ड करते रहते हैं।
विचारों को carry forward करना ही हमारी सारी समस्याओं की जड़ है। जो हमारे overthinking (
ओवरथिंकिग) की  समस्या  को पैदा  करके , हमारे सोचने की प्रक्रिया को  दुषित करता है। जबकि हमारा inner software  अपनी जगह सही ढंग से काम कर रहा होता है। 

हमारा दिमाग इन सभी carry forward  विचारों को जोड़कर Subconscious mind को forward कर देता है और यही विचार subconscious mind  हमारे शरीर की कोशिकाओं को forward कर देता हैं । हमें इसी carry forward , के 
जोड़ को  Subconscious mind तक पहुंचने  से पहले रोकना है।  
 

5:Subconscious mind को  सकारात्मक सुझाव देकर ओवरथिंकिग (overthinking) control kare.

सबसे पहले तो हमें यह याद रखना है कि हमारे दिमाग में एक दिन में हजारों विचार पनपते हैं।एक विचार कुछ सेकंड ही दिमाग में रहता है ,यह हम नहीं जानते हैं । 
  • क्या हमने कभी भी 1 मिनट अपने आप को किसी भी एक चीज पर फोकस किया है? 
  • इसका उत्तर 100% नहीं हो सकता है , क्योंकि यदि  किसी ने कभी  1 मिनट के लिए अपने आप को किसी बात या विचार पर focus किया हो , तो उसने अपने आप को जीत लिया है ।
  • तो आप ही बताएं जब हम आप 1 मिनट किसी बात पर फोकस्ड नहीं रह सकते हैं,तो क्यों कोई भी नेगेटिव विचार दिमाग में पनपने से हम उसे कई घंटों तक दिनों तक दिमाग में ढोते रहते हैं ।
और अपना तन और मन खराब करते हुए किसी भी बीमारी की ओर बढ़ते रहते हैं। 
यदि कोई भी नेगेटिव विचार मन में आए तो अपने  ये काम करने हैं । अपने subconscious mind से कहना शुरू कर दो।
  • Thought Process पर STOP और एक बड़ा  Full Stop लगा दे। Stop लगाने लिए के लिए आपको आदत बनानी होगी। 
  • बहुत आसान है विचारों पर Stop  लगाना , लेकिन समय लगता है । इस आदत को बनाने में एक हफ्ता दो हफ्ता या 3 हफ्ते भी लग सकते हैं, लेकिन Stop  जरूर लगता है। 
  • क्योंकि कोई भी विचार हमारे मन में कुछ सेकंड ही रहता है, और हम अपने विचारों को Justification  दे रहे होते हैं,  जैसे कि हम judge हो। 

यदि स्टॉप नहीं लगा सकते तो क्या करें? Overthinking se kaise bache ?

  • जैसे ही मन में  विचार पैदा होता है ,तो उस विचार को पकड़ो मत, उस विचार पर ध्यान मत दो ,उसे पानी की तरह बहने दो।
  • रोकने की इच्छा मत करो उस विचार पर फोकस नहीं करना है।
  • यह सोचते हुए कि हर पल बदल रहा है तो यह विचार भी बदल जाएगा। 

सबसे आसान और कठिन तरीका भी है। विचारों को जैसे हैं, बहने दे स्वीकार करें उन विचारों को जो आपको परेशान कर रहे हैं।  

ऐसा इसलिए क्योंकि यह विचार आपके ही दिमाग में पहले से मौजूद हैं। इनको  किसी बात ने ट्रिगर किया है।

  • यह ऐसा ही है जैसे सूखी घास को चिंगारी मिल गई हो और यह आग बुरी तरफ फैल गई हो। जो कुछ भी हो रहा है वह सब हमारे दिमाग में ही होता है। 

अब जब ओवरथिंकिंग हमारे ही दिमाग में शुरू हो चुके हैं ,तो यह एक बाढ़  की तरह है , थोड़ी देर के लिए ही अपना  रूप दिखाती है और overthinking(ओवरथिंकिंग) को स्वीकार कर ले  एवं  ध्यान न दें , तो यह बाढ़  की तरह समय पर शांत हो जाती है ।  यही एक बेस्ट तरीका है, ओवरथिंकर को कंट्रोल करने का।  

  • जिस लेवल पर ओवरथिंकिंग शुरू होती है , उसे लेवल पर हम ओवरथिंकिंग को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। यह ऐसा है , जैसे Law of momentum होता है।  
  • जैसे रोटी पकाने वाला तवा गर्म हो जाता है और हम इसे ठंडा करना चाहे तो एकदम ठंडा नहीं कर सकते हैं। यदि पानी डालने पर इसे  ठंडा किया जाय ,तो  धातु का क्षरण हो जाता है और यह सही तरीका भी नहीं है। 

लेकिन हम इसे समय पर छोड़कर एक तरफ रख दें तो यह तवा ठंडा हो जाएगा। 

ऐसे ही हमारा दिमाग है इसी प्रकार Overthinking होने पर हमें  विचारों पर ध्यान नहीं देना है। चाहे कितनी भी मुश्किल हो , क्योंकि इस समय दिमाग में विचारों की उथल-पुथल से गर्मी पैदा हो गई है। ऐसी स्थिति में बाहर से मन को तर्क देना और समझाना ऐसा ही है , आग में घी डालने का काम। 

  • यदि हम Overthinking (ओवरथिंकिंग) के दौरान  मन पर जोर डालते है , तो यह वैसा ही है जैसी किसी  विचारों को पानी व खाद दे रहे हो। यह विचार पुनः  समय के साथ हमारे पास  फिर से हमारे सामने आएगा।

  • इसलिए जिस स्तर पर विचार पनपता है,  उसे उसी स्तर पर हम  कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार हम thought process को बदल कर ओवरथिंकिंग  (Overthinking) ko Control कर सकते  है।

In Conclusion :

यह  ऐसा ही है , जैसे एक शांत  तालाब में पत्थर  फेंकने से तालाबमें उथल-पुथल हो जाती है एवं  तरंगें पैदा होती है। इन तरंगों को और पत्थर फेंक कर शांत  नहीं किया जा सकता है।  समय के साथ ये तरंगे अपने आप   शांत हो जाती हैं।  

वैसे ही  ओवरथिंकिंग (Overthinking) को समझ लीजिए ,कि  दिमाग में  ओवरथिंकिंग (Overthinking) की तरंगे उत्पन्न हो चुकी हैं। इस में दूसरी बाहर से  विचार डालना पत्थर फेंकने जैसा ही है।  

ओवरथिंकिंग कण्ट्रोल करने के लिए  शांति  के साथ  बैठ जाएँ।  विचार को ऐसे ही बहने दे। यह सबसे  best तरीका है , overthinking control karne ka.

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