Overthinking control kare in 5 best easy way (hindi) (ओवरर्थिंकिंग को कण्ट्रोल करने के 5 best easy way).
Overthinking meaning in Hindi .
- दिमाग में बार-बार एक ही विचार आना।
- लगातार सोचते रहना।
- किसी के बारे में जरूरत से ज्यादा ही सोचना।
- दिमाग में गलत विचार बार -बार आना और परेशान होना ही overthinking है।
- और हम अतीत की यादों की जो मेमोरी है, उस पर विचारों के लेवल लगाकर अपने को सही साबित करने पर तुले रहते हैं।
Overthinking : ओवरथिंकिग कैसे शुरू होती है ?
- यहां पर सूचना पर सूचना कई माध्यमों से प्रसारित हो रही है और हम अपने दिमाग को डिक्शनरी बना रहे हैं।चाहे सूचना कुछ भी हो , गलत हो या सही हो हमारा मन लगातार सग्रह करता रहता है।
- हम चतुर चालाक बनना चाहते हैं ,पर बुद्धिमान नहीं,चालाकी और बुद्धिमान में बहुत फर्क होता है। यही से overthinking शुरू होती है। कयोंकि आज सभी चतुर चालाक बनना चाहते हैं ।
- जब विपरीत परिस्थितियां आती है तो, हम परेशान हो जाते है।जबकि परेशानियों के हल हमारे ही अंदर मौजूद हैं ।परिस्थितियां तो हमें बनाती हैं और हमें बताने एवं समझाने का प्रयास करती है,कि हम कौन हैं? या हमें क्या करना चाहिए ?
Past men Jeena : Overthinking का एक मुख्य कारण है।
- आप ही बताएं , कि क्या आप अपने Past को बदल सकते हैं ?
- क्या आप अपने Past में जा सकते है?
- यह शारीरिक तौर पर संभव नहीं है पर मन के स्तर पर अतीत की यादों में झांक सकते हैं। यही हमारी Overthinking की समस्या है।
- अतीत कभी वापस नहीं आता है। बस हमारा एक विचार अतीत की यादों को कुरेदकर Overthinking की समस्या को शुरू कर देता है।
- एक चेतन मन और
- दूसरा अवचेतन मन मे ।
- कुछ लोग जो योग तथा अध्यात्म प्रक्रिया की ओर अग्रसर है, वे कहते हैं कि अवचेतन मन ज्यादा प्रभावी है।
चेतन मन
- चेतन मन को जो सूचना भौतिक जीवन के आधार पर सही एवं तर्कपूर्ण लगती है, उसे स्वीकार कर करता है और अवचेतन मन को भेज देता है।
- हमारा चेतन मन वही ग्रहण कर रहा है। जो हमें प्रतिदिन सुबह से लेकर रात तक पांच इंद्रियों के माध्यम से बताया जा रहा है।
- overthinking हमारे चेतन मन में शुरू होती है।
- यह सूचना डर, अवसाद ,तनाव, खुशी ,गम के विचार को पैदा कर.सकती है ।
- चेतन मन सूचना को फिल्टर करने के बाद अवचेतन मन को ट्रांसफर कर देता है। हमने भौतिक जीवन में पांच इंद्रियों तक ही अपने आप को सीमित किया हुआ है , और हमारे ज्ञान प्राप्त करने का आधार भी यही है। यही विज्ञान भी कहता है।
- work pressure and work place में कई साड़ी समस्याओं की जड़ भी चेतन मन में ही होती है।
अवचेतन मनः
- हम हमेशा सांस लेते हैं या हमको सांस लेना पड़ती है ?
- हमारा भोजन स्वयं पच जाता है या भोजन को पचाना पड़ता है ?
- हमारा दिल स्वयं धड़कता है या इसको धड़काना पड़ता है?
- हमारा उत्सर्जन तंत्र स्वयं काम करता है या इसको काम कराना पड़ता है?
- हमारा रक्त परिसंचरण तंत्र स्वयं रक्त का परिवहन करता है या इसको यह कार्य कराना पड़ता है ?
- क्या कभी हमने गहराई में सोचा है , कि ऐसे कैसे होता है? यह सब विज्ञान पर आधारित बातें हैं। ये सभी कार्य हमारे अवचेतन मन द्वारा बिना रुके रात बिना अच्छी तरह से संचालित होते रहते हैं। और हमें पता भी नहीं चलता है।
- इतना आप समझ गए होंगे कि अवचेतन मन हमारे शरीर के 90% अंगो का संचालन कर्ता है। बिना हमारी जागरूकता के अवचेतन मन का इनर सॉफ्टवेयर हर दिन ही कोशिकाओं का निर्माण करता रहता है।
- सूचना ग्रहण करने पर यह कार्य करता है और शरीर की कोशिकाओं को सूचना प्रेषित प्रेषित करता है। वैसे भी हमारे शरीर की सभी क्रीयायें आंतरिक तौर पर अवचेतन मन के प्रभाव में हैं।
Overthinking ke lakshan :(ओवरथिंकिग के लक्षण)
- इन सूचनाओं को लगातार फेटते रहने से हमको ऐसा लगता है , कि हमारा मन इधर उधर भाग रहा है।
- यही सबसे बडा झूठ है, कि मन चंचल है।
- जबकि ऐसा नहीं है । हम ही मन को चला रहे हैं। अर्थात हम , मन या दिमाग से सूचनाओं को प्राप्त कर रहे हैं, और उनको महसूस कर रहे हैं , अनुभव कर रहे हैं ।
- इसी प्रकार से हम मन को बदनाम भी कर रहे हैं , कि मन चंचल है, काबू में नही आता।
- जबकि मन शरीर का एक भाग है, और यह अपनी जगह पर ही रहता है। हम सूचनाओं को लगातार अदला-बदली कर याद करते रहते हैं। और हम overthinking के लक्षण की ओर बढ़ते जाते है।
Overthinking ke karan Parbhav: ओवरथिंकिग के कारण व प्रभाव :
आप और हम Overthinking की वजह से आज Psychosomatic Disease का शिकार बनते जा रहे हैं। सूचना के युग में हम अपने मन को कचरे का ढेर बनाते जा रहे हैं।
- परिणाम स्वरूप शरीर में Adrenaline Harmon's ज्यादा मात्रा में release हो रहा हैं। और हमारा inner immune system पर कहीं न कहीं फर्क पड़ता है। हम ऊर्जा एवं उत्साह को खोते जा रहे हैं।
- हम पर हमेशा हमारा, अतीत शासन करता रहता है। हम अपने अतीत में इतने चिपके रहते हैं, कि वर्तमान क्षण में हमेशा अतीत को ही अपने ऊपर हावी होने देते रहते हैं । और अपने वर्तमान क्षण में अपने अतीत की यादों के बीज को दोबारा वर्तमान में बो देते हैं।
- फिर भविष्य में इसकी फसल काटते हैं , अर्थात जो हमारे साथ पहले अतीत में घटित हुआ है, वहीं आपको पुनः भविष्य में फल के रूप में प्राप्त होगा।
- यही चक्रीय क्रम लगातार चलता रहता है। और हम एक कोल्हू के बैल की तरह वहीं पर घूमते रहते हैं। और सोचते हैं कि एक लंबा सफर तय कर लिया है । अपने साथ घटित घटनाओं के लिए भगवान को दोष देते रहते हैं।
Kaise Overthinking control kare ? Overthinking se kaise bache ?
1:Thought Process (Sochne ki Aadat ) को बदलना :
- क्या यह सही है? बीज से पेड़ बन चुके पेड़ पर आम नहीं लगते हैं ,तो क्या आप अपने किए कर्म को या उस पेड़ को भला-बुरा कहेंगे ।
- यह एक मूर्खतापूर्ण सोच होगी ।लेकिन अगर आपको फिर भी आम खाने हैं,तो आपको आज वर्तमान में एक अच्छे किस्म का आम का पौधा लगाना होगा,जो कि भविष्य में फल दे।
- Past में जा नहीं सकते, future अभी दूर हैं , तो Present ही हमारे पास है। इसी प्रकार प्रकार वर्तमान क्षण में ही हमें अपने मन तथा शरीर पर कार्य करना होगा। जब ओवरथिंकिंग मन के स्तर पर है, तो थॉट प्रोसेस को ही बदलना होगा।सही काम करने के लिए कभी भी ज्यादा ऊर्जा ,समय तथा पैसे की आवश्यकता नहीं होती है। बस धैर्य,विश्वास, शांति और प्रेम की भावना की आवश्यकता होती है।
- माफ करना , धन्यवाद देना चाहे अच्छा हुआ हो या बुरा हुआ हो। इस प्रकार के थॉट प्रोसेस आपकी Overthinking control kar सकते हैं है हमेशा के लिए बंद कर सकते हैं।
Stop Overthinking:
- नये परिणाम के लिए नया कर्म को बोना पडेगा। इसी प्रकार से हमें पुराने अतीत को भूल कर, आज वर्तमान में एक नई सोच को , नए विचार को जन्म देना होगा। पुराने विचार को छोड़कर नया विचार अपनाना होगा , तभी हम अपनी Overthinking control कर सकते हैं।
2:Living in the present moment
आज आपका जो भी व्यक्तित्व है, वह अतीत की यादों के अनुभव व सोच से बना है ।
- यही मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी यह है ,कि वह अतीत का कड़वा अनुभव हमेशा याद करता रहता है। जबकि उसके साथ अतीत में बहुत बार अच्छा घटित हुआ होता है ।
- प्रत्येक क्षण हमारी हजारों लाखों कोशिकाएं बदल रही हैं, लेकिन हम हैं कि एक अतीत का कड़वा विचार अपने दिमाग में लगातार फेट रहे हैं, जबकि पल-पल बदल रहा है।
- प्रत्येक क्षण हमारा सबकॉन्शियस माइंड वर्तमान को ही समर्पित है। वर्तमान में एक क्षण में जीना ही अपनी Overthinking ko control करने का सूत्र है।
- इस ओवरथिंकिंग को मुझे ही control करना है।
- कैसे प्रत्येक क्षण का आनंद उठाना है?
- प्रत्येक सांस को अंतिम सांस मानना है।
- प्रत्येक क्षण को भरपूर जीना है। क्योंकि प्रत्येक क्षण Past या इतिहास बन रहा है।
- इसलिए ऐसा जीना है , जैसे आपको आज ही जीना हो और कल मर जाना है।
प्रत्येक प्रत्येक क्षण का बदलाव ही आने वाले कल का परिणाम देगा। यदि हम प्रत्येक पल को आनंद से व्यतीत करते हैं,तो इसका तात्पर्य है , कि हमारा Subconscious mind ज्यादातर एक्टिव है।
3:अवचेतन मन की शक्ति से ओवरथिंकिग (Overthinking) को control करे: Overthinking ko kaise roke.
पहला तरीका है
दूसरा तरीका है
- अवचेतन मन से प्रार्थना करें कि आप सब तेरे हवाले हैं।
- तू ही मुझे मरी परेशानियों के हल बतायेगा। ऐसा विश्वास पैदा करना है।
- बड़े प्रेम व भावना के साथ अवचेतन मन से आग्रह करें ।
- अवचेतन मन के सामने समर्पण कर दें तो वह जरूर आपकी प्रार्थना पर काम करेगा। लेकिन विश्वास होना जरूरी है। जैसे आपको विश्वास होता है कि मैं कल जिंदा रहूंगा ।
- वर्तमान क्षण में प्रत्येक क्षण में सुख, आनंद , शांत एवं परमानंद के विचारों को लगातार सबकॉन्शियस माइंड को देते रहना एक आदत बना देने से , परिणाम में हमारा व्यक्तित्व और भाग्य बनता है।
- Subconscious mind हमारे inner system को मजबूत करता है । हम कई प्रकार की बीमारियों से मुक्त हो जाते हैं ।
- अपने को प्रत्येक क्षण भाग्यशाली माने।
- प्रत्येक क्षण को ऐसा जीना है कि यह छण दोबारा प्राप्त नहीं होगा।
4: Vicharon par viram lagana: विचारों पर विराम लगाना।
- जोड की प्रक्रिया को अपने subconscious mind मे imprint कर देने देने से हम अपने जीवन में प्रत्येक घटना को जोड़ की तरह देखते हैं।
- मन में एक विचार उत्पन्न होता है ,तो उससे सम्बन्धित विचार को carry forward करते रहते हैं और विचारों को जोडते रहते हैं।
- एक विचार दिमाग में उत्पन्न होने पर उसके संबंधित अन्य बिचार जैसे डर, जलन ,नकारात्मक विचारों को हम कैरी फॉरवर्ड करते रहते हैं।
हमारा दिमाग इन सभी carry forward विचारों को जोड़कर Subconscious mind को forward कर देता है और यही विचार subconscious mind हमारे शरीर की कोशिकाओं को forward कर देता हैं । हमें इसी carry forward , के जोड़ को Subconscious mind तक पहुंचने से पहले रोकना है।
5:Subconscious mind को सकारात्मक सुझाव देकर ओवरथिंकिग (overthinking) control kare.
सबसे पहले तो हमें यह याद रखना है कि हमारे दिमाग में एक दिन में हजारों विचार पनपते हैं।एक विचार कुछ सेकंड ही दिमाग में रहता है ,यह हम नहीं जानते हैं ।- क्या हमने कभी भी 1 मिनट अपने आप को किसी भी एक चीज पर फोकस किया है?
- इसका उत्तर 100% नहीं हो सकता है , क्योंकि यदि किसी ने कभी 1 मिनट के लिए अपने आप को किसी बात या विचार पर focus किया हो , तो उसने अपने आप को जीत लिया है ।
- तो आप ही बताएं जब हम आप 1 मिनट किसी बात पर फोकस्ड नहीं रह सकते हैं,तो क्यों कोई भी नेगेटिव विचार दिमाग में पनपने से हम उसे कई घंटों तक दिनों तक दिमाग में ढोते रहते हैं ।
- Thought Process पर STOP और एक बड़ा Full Stop लगा दे। Stop लगाने लिए के लिए आपको आदत बनानी होगी।
- बहुत आसान है विचारों पर Stop लगाना , लेकिन समय लगता है । इस आदत को बनाने में एक हफ्ता दो हफ्ता या 3 हफ्ते भी लग सकते हैं, लेकिन Stop जरूर लगता है।
- क्योंकि कोई भी विचार हमारे मन में कुछ सेकंड ही रहता है, और हम अपने विचारों को Justification दे रहे होते हैं, जैसे कि हम judge हो।
यदि स्टॉप नहीं लगा सकते तो क्या करें? Overthinking se kaise bache ?
- जैसे ही मन में विचार पैदा होता है ,तो उस विचार को पकड़ो मत, उस विचार पर ध्यान मत दो ,उसे पानी की तरह बहने दो।
- रोकने की इच्छा मत करो उस विचार पर फोकस नहीं करना है।
- यह सोचते हुए कि हर पल बदल रहा है तो यह विचार भी बदल जाएगा।
सबसे आसान और कठिन तरीका भी है। विचारों को जैसे हैं, बहने दे स्वीकार करें उन विचारों को जो आपको परेशान कर रहे हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि यह विचार आपके ही दिमाग में पहले से मौजूद हैं। इनको किसी बात ने ट्रिगर किया है।
- यह ऐसा ही है जैसे सूखी घास को चिंगारी मिल गई हो और यह आग बुरी तरफ फैल गई हो। जो कुछ भी हो रहा है वह सब हमारे दिमाग में ही होता है।
अब जब ओवरथिंकिंग हमारे ही दिमाग में शुरू हो चुके हैं ,तो यह एक बाढ़ की तरह है , थोड़ी देर के लिए ही अपना रूप दिखाती है और overthinking(ओवरथिंकिंग) को स्वीकार कर ले एवं ध्यान न दें , तो यह बाढ़ की तरह समय पर शांत हो जाती है । यही एक बेस्ट तरीका है, ओवरथिंकर को कंट्रोल करने का।
- जिस लेवल पर ओवरथिंकिंग शुरू होती है , उसे लेवल पर हम ओवरथिंकिंग को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। यह ऐसा है , जैसे Law of momentum होता है।
- जैसे रोटी पकाने वाला तवा गर्म हो जाता है और हम इसे ठंडा करना चाहे तो एकदम ठंडा नहीं कर सकते हैं। यदि पानी डालने पर इसे ठंडा किया जाय ,तो धातु का क्षरण हो जाता है और यह सही तरीका भी नहीं है।
लेकिन हम इसे समय पर छोड़कर एक तरफ रख दें तो यह तवा ठंडा हो जाएगा।
ऐसे ही हमारा दिमाग है इसी प्रकार Overthinking होने पर हमें विचारों पर ध्यान नहीं देना है। चाहे कितनी भी मुश्किल हो , क्योंकि इस समय दिमाग में विचारों की उथल-पुथल से गर्मी पैदा हो गई है। ऐसी स्थिति में बाहर से मन को तर्क देना और समझाना ऐसा ही है , आग में घी डालने का काम।
यदि हम Overthinking (ओवरथिंकिंग) के दौरान मन पर जोर डालते है , तो यह वैसा ही है जैसी किसी विचारों को पानी व खाद दे रहे हो। यह विचार पुनः समय के साथ हमारे पास फिर से हमारे सामने आएगा।
इसलिए जिस स्तर पर विचार पनपता है, उसे उसी स्तर पर हम कंट्रोल नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार हम thought process को बदल कर ओवरथिंकिंग (Overthinking) ko Control कर सकते है।
In Conclusion :
यह ऐसा ही है , जैसे एक शांत तालाब में पत्थर फेंकने से तालाबमें उथल-पुथल हो जाती है एवं तरंगें पैदा होती है। इन तरंगों को और पत्थर फेंक कर शांत नहीं किया जा सकता है। समय के साथ ये तरंगे अपने आप शांत हो जाती हैं।
वैसे ही ओवरथिंकिंग (Overthinking) को समझ लीजिए ,कि दिमाग में ओवरथिंकिंग (Overthinking) की तरंगे उत्पन्न हो चुकी हैं। इस में दूसरी बाहर से विचार डालना पत्थर फेंकने जैसा ही है।
ओवरथिंकिंग कण्ट्रोल करने के लिए शांति के साथ बैठ जाएँ। विचार को ऐसे ही बहने दे। यह सबसे best तरीका है , overthinking control karne ka.
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