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best 5 sabse Behtareen prernadayak kitaben kaun si hai ?

best 5 Sabse Behtareen Prerak Kitabein Kaunsi hai.

hindi me best 5 prernadayak kitaben kon si hai ?

अपने जीवन के अनुभवों  से, मैंने अपनी पसंद और गुणवत्ता के अनुसार दुनिया की  best 5 prernadayak  kitabon  ka चयन किया है। ये किताबें आपके समक्ष प्रस्तुत हैं शायद ये किताबें आपके जीवन में भी फर्क पैदा कर सकें और आप एक शानदार विना तनाव के जीवन  के महत्वपूर्ण छत बिता सकें।

हर व्यक्ति की अपनी पसंद और नापसंद होती है।  तदनुसार, कोई भी अपनी वस्तुओं का चयन करता है।एक व्यक्ति के जीवन में जो कुछ भी बदलता है, वह उसके लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।

इन  best 5 prernadayak  kitabeno की मदद से, मैंने जीवन को नए नजरीये से देखना शुरू किया और नए तरीके से खुद को समझने में मदद की।

मैंने अपने जीवन में जो भी बदलाव किए हैं, मैं इन kitabon  के कारण कर पाया हूं।मैं अपनी सोच को व्यापक बनाने और एक नई दिशा देने में सक्षम रहा हूं, केवल इन kitabon के कारण। 

ईमानदारी से इन पुस्तकों का धन्यवाद करता हूं और मैंने इन kitabon के मुख्य विचारों को भी आपके सामने प्रस्तुत किया है।मुझे लगता है कि ये  5  kitaben  आपके लिए भी  best prernadayak kitaben   साबित हों। 

1: Inner Enginnering:इनर इंजीनियरिंग: लेखक : सदगुरु। 

इस kitab  को सद्गुरु द्वारा लिखा गया है।  सद्गुरु  ने इस kitab को  दो खंडों में विभाजित किया है। खंड 1 में सतगुरु ने अपने बारे में बताया है, कि कैसे उन्होंने अपना बचपन का जीवन बिताया था?  

  • कैसे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई ?
  • कैसे जीवन में वस्तुओं को नए नजरिये से देखने की क्षमता को प्राप्त किया?

सद्गुरु  ने इस किताब में कहा है कि  इंसान अपना भाग्य खुद बना सकता है। 

सदगुरु ने बताया कि जब आप पीड़ा में , गुस्से में होते हैं ,तो वह समय तुम्हें अपने भीतर झांकने का होता है ,न कि अपने आसपास देखने का।  खुशहाली पाने के लिए जिसको ठीक करने की जरूरत है, वह सिर्फ आप हैं।
  • आप यह भूल जाते हैं कि जब आप बीमार होते हैं तब आपको ही दवाइयों की जरूरत होती है। 
  • जब आप भूखे होते हैं, तो आपको ही भोजन की जरूरत होती है, तो सिर्फ आप ही हैं , जिसे ठीक करने की जरूरत है।  
लेकिन इस साधारण सी बात को समझने में लोग अपनजईवन सारा जीवन लगा देते हैं। 
  • इस प्रकार सद्गुरु  ने अपना भाग्य खुद लिखने का मतलब बताया है , कि कैसे एक इंसान अपना आध्यात्मिक प्रक्रिया के बल पर  और   योग की प्रक्रिया के बल पर  तथा अपने शरीर और मन को जानकर अपने भाग्य का निर्माण कर सकता है। 
इस प्रकार के अनुभवों को सद्गुरु ने सांझा किया है। इससे में योग की नई परिभाषा दी है।

  • योग को बहुत सरल रूप में परिभाषित किया है। 
  • योग जीवन जीने की  कला है।   
  • सदगुरु ने कहा है, कि कर्म योग, ज्ञान योग,भक्ति योग एवं  क्रिया योग को बहुत अच्छे तरीके से समझाया है , कि कैसे इन चारों योगों  को आसान तरीके से एक साथ लाया  जाए।

खंड 2 में  सद्गुरु ने शरीर ,मन और ऊर्जा को तीन भागों में रखकर साधना की विधि दी गई है। 
  • शरीर व मन के लिए कैसे कार्य किया जाए? 
  • कैसे हम कुछ क्रिया विधि द्वारा समय के साथ बहुत अपने अंदर बड़े बदलाव कर सकते है। 
  • यदि हम शरीर व मन को  जीत गए, तो हमने अपने को जीत  लिया है। सबसे बड़ी बात यह है , कि यदि हम अपने शरीर व मन के साथ  कुछ  साधना करते हैं  ,तो यह  अपने आप को इस अस्तित्व  के काबिल बनाने की प्रक्रिया है। 
  • इसके परिणाम स्वरूप से आपका शरीर देवालय  एवं  आपका मन एक कल्प वृक्ष बन जाता है। 
इस प्रकार सद्गुरु  ने शरीर , मन और उर्जा को  एक साथ लाने के  लिए  कुछ विधियों और साधना दी हैं।  
इस बेहतरीन किताब का  असली मतलब यह है की अपने शरीर ,मन एवं ऊर्जा को जानकर हम  इस अस्तित्व के साथ एकात्म हो सकते हैं। हमे अपने समस्याओं के हल मिल सकते हैं। 

2: The Power of Your Subconscious mind: आपके अवचेतन मन की शक्ति : लेखक: डा.जोसेफ  मर्फी

इस kitab  में  वैज्ञानिक विधि से प्रार्थना करने की विधि बताई गई है। इस किताब में चेतन और अवचेतन मन के बीच एक सामंजस्यपूर्ण सहभागिता-प्रदान करने  का सुझाव दिया गया है। 
  • यह kitab  आपको वैज्ञानिक तरीकों से सिखाएगी कि आप अपने अंदर की शक्ति के माध्यम से अपने जीवन के लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकते हैं। 
इस चमत्कारी शक्ति का उपयोग करना शुरू करके अपनी दैनिक गतिविधियों को सरल बनाएं। 
व्यावसायिक कठिनाइयों को हल करने और अपने परिवार के रिश्तों में मिठास पैदा करे ।
इस prernadayak kitab की  विशेषता इसकी व्यावहारिकता है।
  • यह आपको सरल और सहज तकनीक दिखाता है। 
  • इस जानकारी को आप अपनी दैनिक कार्यशैली में आसानी से लागू कर सकते हैं। 
  • यह कोई वस्तु नहीं है। जो व्यक्ति की प्रार्थना का उत्तर देती है। जब व्यक्ति  दिमाग में बैठी  तस्वीरों को अपने अवचेतन मन द्वारा स्वीकार कर लेता है, तो उसे अपनी प्रार्थनाओं का जवाब मिल जाता है
  • इस (motivational book) prernadayak kitab में बताया गया है कि...
  • कि जीवन का नियम विश्वास का कानून है।  और विश्वास को संक्षेप में मन का विचार भी कहा जा सकता है। 
  • जिस तरह से व्यक्ति सोचता है, महसूस करता है उसी प्रकार मन  स्थिति और परिस्थितियों प्राप्त करता है । यह  एक तकनीकी प्रणाली।
इस prernadayak kitab  में कहा गया है कि......... 
  • आपका मन एक बगीचे की तरह है , और आप एक माली हैं। 
  • आप अपने अवचेतन मन में जो भी बीज बोते हैं, आप अपने शरीर और पर्यावरण में उसी तरह का फल प्राप्त करेंगे।
इस kitab में उल्लेखित मुख्य बातें निम्नलिखित है। 
  • आप सचेतन मन और अवचेतन मन के विचारों को बदलकर अपना भाग्य बदल सकते हैं।
  • चेतन और अवचेतन दो दिमाग नहीं हैं, लेकिन एक ही दिमाग के कामकाज के दो क्षेत्र हैं। 
  • आपका चेतन मन बहस करने वाला है। 
  • अवचेतन मन चेतन मन द्वारा दिए गए तर्कों को स्वीकार करता है। इन विचारों को कार्रवाई में बदल देता है। 
  • लेकिन सांस लेने और खाना पचाने के लिए अवचेतन मन जिम्मेदार होता है। इस तरह अवचेतन मन हमारा 90% काम खुद ही करता है।
लेखक ने अवचेतन मन को नियति कहा है। हम वैज्ञानिक तरीकों से अवचेतन मन का उपयोग करके अपने दुखों का कारण और प्रार्थनाओं के उत्तर न मिलने का पता लगा सकते हैं।
 
हम जीवन में जो कुछ भी चाहते हैं उसे प्राप्त कर सकते हैं।  और हम अवचेतन का उपयोग करके अपने शरीर का दोहरा कर सकते हैं। 
जीवन में परेशानियों और व्यावसायिक तनाव, सामाजिक जीवन व्यवहार समस्याएं, बच्चों को कैसे ठीक से और सफलतापूर्वक उठाया जा सकता है। 

इसमें विशेष बात यह है कि आपका आनंद आपके हाथ में है। यह जड़ उसके अवचेतन मन में है।

3; Bhgawat Geeta: भगवद गीता : गीता प्रैस गोरखपुर

भगवद गीता एक  पवित्र महाकाव्य  है  ।  जिसमें भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को उपदेश देने के बारे में विस्तार से बताया गया है। 
भगवद् गीता में 18 अध्याय शामिल हैं और इसमें 700 श्लोक हैं।
  • यह   kitab सभी के लिए फायदे वाली है। मेरे अनुसार, यह दुनिया की सबसे अच्छी सीख देने वाली prernadayak kitab  है। 
इस   kitab में यह बताय गया है,  कि यही की हमारे कर्मो के  फल हमें अवश्य मिलते हैं। जबकि  इसमें दिखाया गया है ,  कि ज्ञान और भक्ति योग के द्वारा हम अपने कर्मों के फल  को  कैसे भोग सकते हैं ?  

भगवत गीता में कर्मयोग, ज्ञानयोग भक्तियोग को बहुत अच्छे प्रकार से समझाया गया है। कैसे व्यक्ति अपने कर्मों को करता हुआ  फल को प्राप्त करता है ? 
और इसमें यह दिखाया गया है ,  कि कर्म का फल ,  हमारे हाथ में नहीं है। कर्म हमारे हाथ में है और कर्मों के हिसाब से हमें फल अवश्य मिलते हैं।
भगवद गीता एक तरह से बहुत बड़ा मैनेजमेंट है। इसमें प्रत्येक व्यक्ति अपनी समस्याओं के हल प्राप्त कर सकता है और प्रत्येक व्यक्ति को इसमें अपने जीवन के अर्थों को समझने का अलग-अलग उत्तर मिलता है।  
जो जिस भाव से इस prernadayak kitab को पड़ता है उसे उस हिसाब से उसका फल मिलता है। 
कर्म योग पर आधारित अध्याय 2 के इस श्लोक को मैंने अपने जीवन में अनुभव किया है तथा प्रयोग द्वारा अपने जीवन को नयी गति दी है।  
भगवत गीता के अध्याय 2,श्लोक 47 में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सम्बोधित करके कहा है-

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन । 

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ।।47।।

उपर्युक्त श्लोक में यह बात कही गयी कि तुमको न तो karmo ke fal  का हेतु बनना चाहिये और न कर्म न करने में ही आसक्त होना चाहिये अर्थात् कर्मों का त्याग भी नहीं करना चाहिये। इस पर यह जिज्ञासा होती है कि तो फिर किस प्रकार कर्म करना चाहिये? इसलिये भगवान् कहते हैं-

Your right is to work only, but never to the result there of. Be not instrumental in making your action-bear result, nor let your attachment be to inaction-(47)

इसलिए मेरे हिसाब से यह दुनिया के सबसे best management   book है । यह सभी आयु वर्ग  के लिए बहुत फलदायी हो सकती है। 

47 Habits of highly effective peoples: अति प्रभावकारी लोगों की 7 आदतें - लेखक: स्टीफन आर.कवी

इस kitab को लेखक ने  चार खंडों में विभाजित कर ,सात आदतों को इन खंडों में बांटा ।  सबसे महत्वपूर्ण बात इस किताब में यह है , कि हम अपने  पैराडाइम को कैसे change  कर सकते हैं ? 

व्यक्ति पर आधारित नीतिशास्त्र के बजाय चरित्र नीति के प्रभाव पर फोकस किया गया है। स्थान परिवर्तन के शक्ति और विकास परिवर्तन के सिद्धांत बताया गया है। 
समस्या को देखने का हमारा तरीका ही समस्या है। 
कैसे हम अपनी योग्यता और प्रभाव को  मिलाकर ज्यादा अच्छा काम कर सकते हैं। 

खंड 2 में व्यक्तिगत विकास की पहली आदत के बारे में बताया गया है।  Pro-active  बने। 

हमारे साथ जो होता है वह हमें इतना दुख नहीं देता जितना कि उस पर हमारी प्रतिक्रिया।
दूसरों को खुद पर कार्य करने देना नहीं है। इनमें चिंता का वृत्त को छोड़ प्रभाव के वृत्त पर कार्य करने के  बारे में बताया गया है।  

इस बुक में बताया गया है की समस्याएं तीन प्रकार  की होती हैं। 

  • प्रत्यक्ष नियंत्रण   
  • अप्रत्यक्ष नियंत्रण और 
  •  शून्य नियंत्रण

इस prernadayak kitab  में समस्यांओ को  बांटकर प्रभाव के क्षेत्र में विस्तार करने पर बात की गई है। 

पहली आदत 

पहली आदत कहती है  की "आप रचियता हैं ""आप जिम्मेदार हैं"यह कल्पना,विवेक ,आत्मनिर्भर  इच्छा और खासकर आत्मा जागरूकता की चार अनूठी प्रतिभाओं पर आधारित है।  

पहली आदत आपके बचपन की स्क्रिप्ट जो दोषपूर्ण है को बदलकर   नई   स्क्रिप्ट को लिखने की आजादी देती है।  

दूसरी आदत

दूसरी आदत : अंत को ध्यान में रखकर शुरू करें। 

दूसरी आदत प्रथम या मानसिक  रचना है।  यह कल्पना  पर आधारित है।  यानि काल्पनिक तस्वीर देखने की योग्यता , सम्भावना  देखने की छमता , अपने मस्तिष्क में वह रचने की छमता ,जिसे हम वर्तमान में अपनी आखों से नहीं देख सकते।  

व्यक्तिगत लीडरशिप के सिद्धांत पर इस आदत के बताया गया , कि कोई  भी चीज  दो  बार बनती है। सभी चीजों की प्रथम रचना मानसिक होती है और दूसरी  रचना भौतिक होती  है। 

तीसरी आदत

तीसरी, आदत पहली और दूसरी आदतों का व्यक्तिगत फल और व्यावहारिक परिणाम है। 

तीसरी आदत का मतलब है कि पहली चीज को पहले रखें। जो काम प्रथमिकता के आधार पर होने है उन्हें पहले करना चाहिए।  

आप तब तक सिद्धांत केंद्रित नहीं बन सकते , जब तक की  आप अपने पैराडाइम के प्रर्ती  जागरूक न हों और यह न  समझ लें की उन्हें किस तरह बदला जा सकता है।    

तीसरी  आदत, द्वितीय  रचना यानी भौतिक रचना है ।  यह पहली और दूसरी आदत का  परिणाम ,वास्तिविकरण और स्वाभाविक उत्पत्ति है। 

चौथी आदत : जीत-जीत की मानसिकता 

चौथी आदत बताती है कि हमें जीत /जीत की मानसिकता की आदत डालनी चाहिए। क्योंकि जीत जीत , मानसिकता और हृदय की ऐसी मनोदशा है, जो समस्त मानवीय व्यवहार को पारस्परिक लाभ की निरंतरता स्थिति है। 

जीत/जीत मानसिकता  में समाधान के परिणाम में संबंध पारस्परिक रूप से लाभप्रद और सतोषजनक होते  हैं। 

जीत/ जीत समाधान होने पर सभी पक्ष निर्णय में बारे में अच्छा महसूस करते हैं।  इसलिए एक दूसरे को  प्रतियोगी  क्षेत्र  के रूप में न देखकर सहयोगी क्षेत्र के रूप में देखती है। 

पांचवी आदत

सबसे पहले दूसरों को समझने की समझ पर आधारित है।   यही संप्रेषण की कुंजी है। 

आपका चरित्रआपका संप्रेषण है। यही अच्छे संप्रेषण के लिए बेहतर एवं  जरूरी है। समाधान छू जाने से पहले समस्या को समझें।

छठी आदत

छठी आदत : सिनर्जी का प्रयोग करें। 
सिनर्जी क्या है ? इसकी सीधी सी परिभाषा यह है की  कोई पूर्ण  चीज अपने हिस्सों के योगफल से अधिक बड़ी होती है।  

इसका  अर्थ है की हिस्सों का  एक दूसरे के साथ जो सम्बन्ध है , वह भी अपने आप में एक हिस्सा है।  यह हिस्सा ही नहीं है , बल्कि सबसे उत्प्रेक ,सबसे  शक्तिदायी , सबसे एकात्मक और सबसे रोमांच हिस्सा है। 

लोगो के बीच की मानसिक ,भावनात्मक तथा मनोवैज्ञानिक भिन्नताओं को महत्व देना सिनर्जी का सार है।  

यह अहसास दिलाना की लोग दुनिया को उस तरह से नहीं देखते हैं जैसी यह सचमुच है।,बल्कि उस तरह से देखते हैं जैसे वे खुद हैं। 

सातवीं आदत :

सातवीं आदत : आरी की धार तेज करें। नवीकरण के चार आयाम है :

यह आपकी सबसे बड़ी सम्पति -यानि स्वयं को विकसित करना है।  यह आपके स्वभाव के चारों  आयामों - शारीरिक , आध्यात्मिक ,मानसिक और सामाजिक का नवीकरण करती है।  
आरी की धार तेज करने का  मूल अर्थ  है चारों प्रेरणाओं को व्यक्त करना।  इसका अर्थ है हमारे स्वभाव के चारों आयामों का समझदारी और संतुलित  तरीकों से नियमित व निरन्तर अभ्यास करना।  

5:The Alchemist: अल्केमिस्ट- लेखक: पाओलो कोइलो 

सपने को अपने सपने को साकार करने की एक  ऐंद्रजालिक    कहानी है। 
 यह एक बहुत ही Prernadyak khani ki kitab hain. यह हमें जीवन को नये नजरिये से देखने का आयाम दिखाती हैं।  

" जब तुम वास्तव में कोई वास्तु पाना चाहते हो तो बसंपूर्ण सृष्टि उसकी प्राप्ति में  मदद करने के लिए तुम्हारे लिए षड़यत्र रचती है। " 
यह कहानी एक लड़के सेंटियागो की है जो एक  गड़रिया है।  भेड़ पालन उसका शौक है। 

यह एक रोमांच से भरी इंद्रजाल कथा पर आधारित kitab है।  जिसमें यह लड़का अपने सपने को  साकार करने के लिए एक रेगिस्तान की लम्बी यात्रा पर  जाता है तथा खजाने को प्राप्त करता है। 
इस  यात्रा के दौरान उस लड़के की में जिंदगी के में क्या-क्या परिस्थितियां है आती है।  वह कैसे इनसे पार पाता है?   
इस यात्रा में  जिंदगी का  सबसे बड़ा सबक सिखाया जाता है , की हम क्या है और क्या नहीं है ? 
  • हमारी नियति क्या है?
  • हमरे विश्वास क्या है ?   
  • विपरीत परिस्थिति में कैसे जीना है? 
  • अस्तित्व की  भाषा क्या  है ? 
  • सबकॉन्शियस माइंड को कैसे इस्तेमाल करना है ?

सबसे बड़ी बात अस्तित्व की  भाषा को समझना और अपने भाग्य का निर्माण करना है। 
इस  kitab को पढ़ने से पहले यदि आप चाहते हैं कि आप इस के गूढ़ रहस्यों को जाने तो ,आपको थोड़ा अध्यात्म प्रकृति  का होना जरूरी है या आप इस kitab को पढ़ने से पहले सद्गुरु की द इंजीनियरिंग को भी  पढ़ सकते हो। 

इस कहानी मेंं  बताया गया है ,की भगवान को जब मदद करनी हो तो वह किसी भी रुप में मदद करता  है। 

मन की  सफाई करने के तरीके क्या क्या है? और क्या जिंदगी की हर बात एक शकुन  है। शकुन  भगवान् की  भाषा है,  जिसको जरिए वह बताना चाहता है कि आपको क्या करना चाहिए।

यह लड़का कैसे परेशानियों से जूझता हुआ जीवन में अलग-अलग पड़ाव को पार करते हुए अपने खजाने की ओर बढ़ता है। 
इस कहानी में साहस, धैर्य ,शौर्य ,प्रेम,पराक्रम ,विश्वास  ,दिल की  बात सुनना पर विस्तृत रूप में  गया  है।
  • विश्वास, आस्था और कर्म करने की एक मनमोहन कहानी बयां करती हैं।   इस कहानी  में बताया गया है ,कि विश्व की एक आत्मा है अर्थात पृथ्वी किस कारण अपनी धुरी पर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा रही है। 
इसकी  एक आत्मा है जो इसे  चला रही है, जो इस बात को समझता है और शकुनो  की भाषा भी समझता है। वह इस  कहानी में रेगिस्तान में  रेत के कण  में इलेक्ट्रॉन ,प्रोटॉन न्यूट्रॉन के  अस्तित्व  को भी जान सकता है। 
  • विज्ञान भी कहता है कि एक कण  में सब कुछ है।  कहानी में बस वर्तमान में जीने की सीख देने पर बल दिया गया। 
  • वर्तमानन पर ध्यान दें तो भविष्य को  सुधारा जा  सकता है । यह सुधार लिया तो बाद में जो भी आने वाला कल है, वह भी आज  से बेहतर होगा। 
भविष्य की चिंता छोड़ो और अस्तित्व  की शिक्षा पर चलोगे तो वह  अपने बच्चों को प्यार करता है। हर दिन अपने साथ कुछ ऐसा लाता है जो शाश्वत है,जब किसी व्यक्ति को वाकई में कोई वस्तु पा लेना चाहता है तो यह पूरी सृष्टि उसको साकार करने में उपयुक्त काम करती है। 

अंत में कहानी एक लड़के के सपनों को साकार करती है और मजेदार ढंग से रचनात्मक तरिके से समाप्त होती है। यह एक मनभावन कहनी है  तथा हमें  अपने होने का सही अर्थ बताती है।  

In conclusion: 

निष्कर्ष। Best Prernadyak kitaben जो आपकी सोच को बदलने के साथ ही जिंदगी भी बदल सकती हैं। 
 एक और "इनर इंजीनियरिंग पुस्तक" एक दिशा में शरीर, मन और ऊर्जा पर जोर देती है। यानी यह सबसे पहले खुद को एक नए तरीके से जानने का सूत्र देता है।  वही "आपके अवचेतन मन की शक्ति  kitab "एक नई छवि बनाने के लिए एक नई छवि बनाने के लिए कहती है।
 यदि आपने इन दो पुस्तकों को आत्मसात किया है, तो हम "भगवद गीता पुस्तक" के सही अर्थ को आसानी से समझ पाएंगे।  हमारे तीसरे आयाम आंतरिक सॉफ्टवेयर से भगवद गीता है। 
इससे हमें समझ आता है कि वास्तव में हमारी पहचान क्या है।  जब हम इन तीन पुस्तकों को पढ़ते हैं, तो हम जानते हैं कि मैं कौन हूं और मैं किसके लिए काम करता हूं।

मेरा मतलब है कि यह जीवन क्या है फिर यह आता है कि हम जीवन में व्यावहारिक जीवन जीने की कला कैसे विकसित करते हैं।हम एक गुणवत्ता उत्पादक व्यक्ति कैसे बन सकते हैं और अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं?

समान सूत्र लेकर जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए,अति प्रभावकारी लोगों की 7 आदते" हमें इन सवालों का हल बताता है।

अब जब हम जानते हैं कि मैं कौन हूं, मेरे भीतर का सॉफ्टवेयर क्या है?  और मैं व्यावहारिक जीवन कैसे जीना चाहता हूं, फिर इस ब्रह्मांड या अस्तित्व को जानने की बारी है।

 हम यहां क्यों आए हैं।  हमारे यहाँ आने का कारण क्या है?  हम चीजों और आत्मा से कैसे निपटते हैं?  अल्केमिस्ट kitab ने इन सवालों के जवाब दिए। मेरे हिसाब से ये hindi me  ये  best 5 prernadayak kitaben hain.

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