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Social media: Attitude ko prabhavit karne me best khiladi hai.

Social media Attitude ko prabhavit karne me best khiladi hai.  

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क्या आज का Social media  इतना  शक्तिशाली हो गया  है, कि हमारे thoughts को प्रभावित  कर हमारे Attitude को change कर दे ?  इस Blog के माध्यम से इस बात  पर अपना मत प्रस्तुत कर रह हूँ, कि  कहीं हम सभी Social media के खेल में तो नहीं फंस रहे हैं ? 

इस बात पर भी विस्तार से बात होगी कि

  • कैसे हमारे Actions  हमारी thought  process पर निर्मित होते रहते हैं?  
  • क्या हमारी भावनाओं के कारण ही human being,  एक perfect Robot से अलग होता है?   

हम सभी मिटटी के पुतले है , बस इस पुतले रुपी शरीर में कुछ भावनाओं के कारण ही हम इंसान हैं। प्रत्येक व्यक्ति की भावनाएं उसके thought process  से उत्पन्न होकर  व्यक्तिगत होती हैं।  

यही भावनाएं हमारे अंदर Attitude का निर्माण करती  हैं।  जैसा हमारा Attitude होता है , उसी प्रकार के Actions हमारे द्वारा निर्मित होते  रहते है ? 

आज का Social media प्रत्येक घर तक पहुंच रखता है। टीवी सबसे बड़ा उदाहरण है। आज टीवी का Role बड़े-बड़े सिनेमा जगत को भी पीछे छोड़ गया है। 

बड़ी-बड़ी celebrity हो चाहे  Political Leader हो , टीवी media and social media को अपने प्रचार और प्रसार के लिए  पहली पसंद मानते हैं।  

ऐसा इसलिए है, क्योंकि  टीवी and social media प्रत्येक के बेडरूम तक अपनी पहुंच बना चुका है। 
  • आज media  का नया  रूप सोशल मीडिया जिसमे मुख्यतः Smartphone (स्मार्टफोन) ने विशेषकर युवा पीढ़ी को नए-नए  सपने  दिखाएं हैं। यह प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में अपनी पहुंच बना चुका है। 

Social media Attitude ka Prbhav.  

जहां टीवी घर-घर में एक ही  स्थान तक  सीमित है , वही Smartphone प्रत्येक व्यक्ति की जेब में अपनी पहुंच बना चुका है एवं हर जगह उपलब्ध है। 

24 घण्टे  हम सभी  अपने मुताबिक अपनी बात को हर समय share कर सकते हैं।  आज सोशल मीडिया ने  Distance and place के सभी अवरोध को पार कर समय को भी पीछे छोड़ दिया है।  
  • विज्ञान का सिद्धांत कहता है कि जीरो डिग्री सेंटीग्रेड या कम तापमान पर या असामान्य स्थिति पर किसी व्यक्ति से अपनी बात मनवाना कठिन होता है।  विषम परिस्थितियों में किसी व्यक्ति का बात को स्वीकार करना और भी कठिन होता है।
जब हम अपने घर या bedroom में होते हैं, तो हम सभी अपनी सबसे सामान्य या आराम की अवस्था में होते हैं। इस समय  हमारे दिमाग और शरीर की स्थितियां  सभी सामान्य होती है। 

इस समय  दिमाग की ग्रहण करने की क्षमता ज्यादा होती है। Social media द्वारा जिस भी प्रकार की न्यूज़ इस समय परोसी जाती है, वह ज्यादा असर करती है। सुबह-सुबह न्यूज़ देखना अखबार पढ़ना एक फैशन बन गया है, कि कहीं हम पीछे न छूट जाए। 

  • क्या यह सही  है ? Social media सभी में एक होड़ सी लगी  है, कि कौन सबसे पहले Information को share  करता है। 

सभी इसी होड़ में लगे रहते हैं कि कौन सबसे पहले Information को प्राप्त करता है और Forward करता है । बस इसी अंधी दौड़ मेंं हम भी बिना अपना दिमाग लगाए शामिल होकर दौड़ने लगते हैं। 

सभी news and   media channels  इसी रेस में मसाला लगाकर न्यूज़ को परोसने पर लगे हैं। यही हाल social media का भी है । 
  • Social media पर हालात और बुरे है, क्योंकि news या videos सही हैं या नहीं ,हम सभी इस प्रकार के video's और message को forward करने पर लगे रहते हैं। 
  • Social media का उपयोग करके आज साम्प्रदायिक हिंसा फैलाना  हो या समाज मेंं भ्रम की स्थिति पैदा करना आसान हो गया है। सुबह-सुबह की न्यूज़ का दिमाग पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। 
इस कारण हम अपनी मूल पहचान से Distract होकर समाज में चल रही Race में शामिल हो जाते हैं। क्या यह  race हमें हमारे मूल Destination तक पहुंचायेगी? एक  उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं।  

एक भिखारी  सुबह-सुबह ही भीख मांगने दरवाजे पर आता  है। शाम को क्यों नहीं आता है ,ऐसा क्यों ? इसके पीछे आध्यात्मिक कारण यह है कि  सुबह-सुबह हमारी मनोदशा सकारात्मक  होती है। 

वैज्ञानिक तथ्य यह है,कि रात भर हमारा शरीर आराम करके ऊर्जा से भरपूर होता है एवं दिमाग के शांत होने के कारण दिमाग की ग्रहणशीलता बहुत ज्यादा होती है।

हम नई उर्जा से भरपूर होते तथा दिन की शुरुआत  शुभकामनाओं के साथ करते हैं। अर्थात हम कुछ कुछ अपनी मूल अवस्था में होते हैं। 

यदि वही भिखारी शाम को भीख मांगने आता है ,  तो शाम  को शायद ही हम लोग उसे भीख दें। क्योंकि जीवन की भाग दौड़ मेंं हम सभी शाम तक ऊर्जा स्तर को खो देते हैं।

Social media /Print media  द्वारा सुबह शाम 24  घंटे  जिस प्रकार की Information हमारे दिमागों में भरी जा रही है तथा हमारे दिमाग से खेला जा रहा ,यह कहीं न कहीं हमारे thoughts को प्रभावित कर हमारी भावनाओं के साथ छेड़छाड़ करके हमारे Attitude को  बदलने का एक षड्यंत्र है। 

विज्ञापन हो, चाहे न्यूज़ हो या किसी भी प्रकार की information हो, सभी हमारे भावनाओं एवं दिमाग से खेल रहे हैं। 

Attention goes energy flows:

Attention ही मूलभूत सिद्धांत है Attitude को प्रभावित करने का।
एक महत्वपूर्ण सूत्र आप इसे आध्यात्मिक कहें या भौतिकवादी कहें यह आप पर निर्भर करता है । 

Attention -------Energy flows---------–Grow(Result)

जैसी  हमारी Attention होती है,चाहे Negative हो या Positive हमारे दिमाग में उसी प्रकार के thoughts pattern  के कारण उसी प्रकार की भावनाएं  पैदा होती है। यह हमारे attentions  पर निर्भर करता है। 
  • यही भावनाएं  हमारे अंदर grow होती है। जैसी हमारी भावनाएं होंगी उसी प्रकार का हमारा Attitude बनता है और हमारे actions मेंं  साफ दिखता है । 

इसलिए किसी भी actions की जड़ हमारे attention  में होती है। Social media  लगातार हमारे attentions  को बनाए रखता है। 
हम लाख चाहे कि हमारा attention positive रहे, लेकिन Social media हो,टीवी media या print media  हो सभी लगातार हमारे  attention पर हमला बोलते रहते हैं।
  • इस कारण हमारी energy उसी दिशा में flow होती है ।इसके परिणाम स्वरूप यह हमारे thoughts  को change करके भावनाओं के रूप में हमारे energy level  को change  करता रहता है और परिणाम में हमारे attitude मेंं उसी प्रकार का बदलाव होता है । 
  • जैसी हमारी thoughts होती हैंं उसी प्रकार की भावनाएं generate होती है। जैसी हमारी भावनाएं वैसा ही Attitude grow होता है । और अन्त मेंं हमारे  actions का तरीका बदल जाता है।

Emotional health par Social media ka Prbhav.

अच्छा जब बात आती है भावनात्मक स्वास्थ्य की, तो हम सभी इस पर बहुत कम ध्यान देते हैं।  हम morning walk भी करते हैं , शाकाहारी भी है , पोषक आहार भी लेते हैं, no drinking  and no smoking   से भी कुछ नहीं होने वाला है। 
  • यदि हम केवल  शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं और भावनात्मक स्वास्थ्य  ध्यान नहीं देते हैं तो हमारा स्टेट ऑफ माइंड असंतुलित हो जाता है। 
और  हम कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं । क्योंकि हमारी भावनात्मक स्वास्थ्य ही हमें एक Perfect Robot तथा एक इंसान के बीच के अंतर को बहुत अच्छी तरह समझाती है
  •  भावनात्मक स्वास्थ्य  का प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है । इसलिए  विचारों के चयन में और  भावनाओं की गुणवत्ता के चयन में हमें सदैव सतर्क रहना चाहिए। 
चाहे बात media  से प्राप्त Information की हो या Social media  की हो । Social media  हमे  emotionally blackmail करता है । 

Media हमारे भावनाओं  से खेलता है और  हमारी भावात्मक स्वास्थ्य पर हमला बोलता है ।  

Social media  हमारी  भावनात्मक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है।क्योंकि हम भी Social media से Attached  होते हैं।  

Social Media ka Mind par Prabhav: कैसे हमारे दिमाग को प्रभावित करता है ?

News channel एक  industry है वह हमारे भावात्मक विचारों के साथ खेलता है और हमारे मन पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है। 

Print media / News channels वही दिखाता है , जिसका हमारे मन पर ज्यादा प्रभाव पड़े। किसी भी (COVID-19 ) बीमारी के समय डर का माहौल ज्यादा create  करने में news channels  का ही हाथ रहा है। 
  • डर की information तनाव पैदा करती है । तनाव अन्य बीमारियों की जड़ है ।
  • हम किसी movie  को देखकर रोने लगते हैं क्यों ?
  • क्योंकि हम movie देखते समय  किसी actor  से अपने आप को associate  कर लेते हैं। movie  में actor के साथ जो भी घटित होता है, हम अपने साथ वैसी ही भावनाएं महसूस करते हैं। 
  • यही attachment है ।
  • इसी प्रकार TV channels भी हमारी भावनाओं से खेलते हैं। 
  • यह हमारी creativity को खत्म करता है।
  • Social media का प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है।
  • TV and smartphone on करते ही हम सोचना बन्द कर देते हैं।
  • हम सोचते हैं कि हम relax हो रहें हैं। जबकि हमारी creativity खत्म हो रही होती है।
  • हमारा मन TV के अन्दर चला जाता है।और मन इसके प्रभाव में चला जाता है।
  • Social media/ TV media  से  डर,नफरत, शंका,दुख के thought generate होते हैं।
इन्हीं thoughts के कारण हमारी भावनाओं पर पर प्रभाव पड़ता है। यह मीठे जहर की तरह है। धीरे-धीरे यही प्रभाव  हमारा  Attitude  बनता जाता है।

यह नेगेटिव भी हो सकता है और पॉजिटिव भी हो सकता है। इसका रिजल्ट हमारे actions में भी  दिखता  है।  

दर्शकों को Social media/media कैसे प्रभावित करता है?

Social media द्वारा लगातार प्रेषित सूचना या कथित ज्ञान हमारी भावनाओं को influence कर  हमारे Attitude  को उसी प्रकार पोषित करता रहता है।

और यही Attitude हमारे दैनिक actions  में परिलक्षित होता है। जैसे actions  होंगे वैसे ही personality बनेगी।  और  यही personality हमारी  destiny के  निर्माण में सहायक होगी।  

इसलिए। Social media  को ध्यान में रखते हुए हमें अपनी भावनाओं पर ध्यान देना आवश्यक है। 

Examples: News में किसी घटना पर डर या दुखी नहीं होना है।
  • हम अकसर दुखी हो जाते हैं। घटित घटना के दुख या डर को आत्मसात कर अपने परिवार एवं  दोस्तों में भी Share कर देते हैं। क्या यह सही है?  नहीं ।
facts :
  • जो घटना घट चुकी है उस घटना को हम सही नहीं कर सकते हैं। 
  • यदि डर एवं शंका के भाव उत्पन्न होने लगते  है तो क्या करें?
  • घटना बता कर नहीं आती हैं। जब घटना होनी होगी तो आप कुछ नहीं कर सकते।
  • तो हम क्या कर सकते हैं? बजाय  दुख प्रकट करने के।
 Solution :

जिस भी व्यक्ति या परिवार के साथ कोई बुरी घटना घटी है । तो आप निम्न कार्य कर सकते हैं। पहले  

अपने  आप को घटना से detach  करें ।  आपके साथ यह घटना नहीं घटेगी। ऐसा Strong thought generate करें। 
facts :

  • आपके  सामने past में परिस्थितियां अलग थी। आज परिस्थितियां अलग है। आपका past karmic account अलग है, दूसरे व्यक्ति का past का karmic account आपसे अलग है ।इसलिए जो घटना दूसरों के साथ  घटित हुई है। जरूरी नहीं है कि वह आपके साथ पर घटित हो।  

लेकिन इस अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, कि हमारी प्रत्येक चीज के प्रति  respond करने की क्षमता असिमित है।  दुनिया में किसी भी प्रकार की घटना के लिए हम भी जिम्मेदार हो सकते हैं बशर्ते हम इस अस्तित्व और अपने प्रति जागरूक हों । 
  • इस प्रकार के Strong  thoughts generate करने से हम घटना की भावनाओं  से मुक्त हो जाते हैं और हम  neutral होकर घटना की  जिम्मेदारी लेकर अपनी प्रतिक्रिया करके अपने मन को भी मजबूत रख सकते हैं  
  • क्योंकि यही हमारे हाथ में है। और यही तरीका Best है  एवं ठीक है। 
  • प्रत्येक व्यक्ति इस अस्तित्व में Unique Personality हैं।
जिस भी व्यक्ति या परिवार के साथ कोई बुरी घटना घटी है ।
  • उनको blessings देनी है कि परमात्मा उनको इस दुख की घड़ी को face करने की क्षमता दे ,पावर दे। 
  • अपने मन की गहराई से मन में शांति व powerful   होकर उनको दुआओं के thought send करने हैं।
Example. कहीं अगर आग लगी है तो क्या भेजना है ? आग या  पानी ।
  • ऐसा करने से आप डर और दुख के thought generate नहीं करते हैं। अपने लिए भी व दूसरों के लिए भी जिनके साथ घटना घटी है।

ऐसा करने आप का मन कमजोर नहीं बल्कि मजबूत होता है। आपके हाथ में सिर्फ दुआएं है ,किसी घटना के प्रभाव को कम करने के लिए बाकी आप किसी के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं। 

इसी प्रकार से हमारे भावनाएं strong होती हैं।  इसके परिणाम  में  हमारे  Attitude में उदारता व विनम्रता का भाव generate  होता है। 

हम और मजबूत होकर उभरते हैं , जो हमारे actions में दिखता है या कहें कि इस घटना के प्रति समर्पण होकर एक सामाजिक दायित्व निभाते हैं। 
  • समाज के इस कर्तव्य निष्ठा जागरूक नागरिक बंद कर अपना कर्तव्य कर्म करने लगते हैं। यही आज  के समाज की मांग है।  हम   केवल यह थॉट अपने मन से करें। मन में डर का भय समाप्त हो जायेगा और हम  शांत हो जायेंगे।  

In Conclusion :

हम सभी एक unique personality  होते हुए भी मूलतः एक ही  है।  हम सभी के अंदर इस अस्तित्व की एक perfect  रचना inner life software  के रूप में मौजूद है। 
हम सभी चाहे बाहर से कितने भी कठोर  क्यों ना हों ?  पर पत्थर नहीं है।हम सभी के अंदर  भावनाओं के रूप में सभी के मूल गुण जैसे  दया , शांति, दुआ  प्रेम  आदि पहले से ही  मौजूद है।   
लेकिन हम ऐसी  दुनिया में जीते हैं जहां पर हम अपने मूल  पहचान  नजर अंदाज  करने पर मजबूर हो जाते हैं।  इस कारण बाहरी Social media  या समाज की सूचनाओं के  में जाल में फंसकर अपने मूल  attitude  को समाप्त करके जीवन जीने लगते हैं। 
जीवन आपका है, आप ही निर्धारित कर सकते हैं, कि आपको कैसे  जीना  हैं ?  Social media  से प्रभावित  होकर अपने attitude को  प्रभावित  करना है या अपनी खुद की पहचान के अनुसार जीना है।

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