Sahanubhuti and Samanubhuti men kya difference hai ?
इस article के माध्यम से मैंने अपने अनुभव के आधार पर Sahanubhuti and Samanubhuti men kya difference hai पर अपने विचार आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं।
क्याSahanubhuti and Samanubhuti एक ही हैं या गहराई में इनके अर्थ अलग-अलग हैं ?
सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है, कि समानुभूति और सहानुभूति दोनों में मुख्य अंतर क्या है?
1:Samanubhuti (समानुभूति ) का मतलब है दूसरे या सामने वाले के इरादों को सुनना और सुनकर समझना और फिर महसूस करके अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना ।
प्रतिक्रिया मौन भी हो सकती है और आखों से आसुओं के रूप में भी व्यक्त हो सकती है।अर्थात जो मेरे अंदर चल रहा है वहीं दूसरे के अंदर भी चल रहा है।
- Samanubhuti (समानुभूति ) मेंं दूसरे व्यक्ति के आन्तरिक जीवन एवं दशा के प्रति हमारा दृष्टिकोण व्यापक एवं समस्या को हल करने पर आधारित होता है ।
- समानुभूति का अर्थ है अन्दर से वैसा ही अनुभव करना जैसा दूसरा व्यक्ति अनुभव करता है ।
2:Sahanubhuti (सहानुभूति) एक मूल्यांकन की तरह है। दूसरों के मनोभाव तथा विचारों पर प्रतिक्रिया का परिणाम देना सहानुभूति है ।
- Samanubhuti (समानुभूति ) में व्यक्ति दूसरों की अनुभूति के माध्यम से महसूस करते हैं।
- आप दुनिया को उसी तरह देखते हैं। जिस तरह दूसरा व्यक्ति देखता है।
- Samanubhuti (समानुभूति) , Sahanubhuti (सहानुभूति) नहीं है।
- Samanubhuti (समानुभूति ) में आंखों से और दिल से भी सुना या समझा जा सकता है।
- Samanubhuti (समानुभूति ) एक प्रकार से बैंक अकाउंट में जमा धनराशि की तरह है।
Difference between Samanubhuti and Sahanubhuti
Samanubhuti (समानुभूति ) और Sahanubhuti (सहानुभूति) को एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं।
तीन दोस्त हैं A ,B और C हैं। तीनों दोस्त 15-15 वर्ष के हैं। B के पिता की मृत्यु अभी हो जाती है । B बड़े दुख में है। C के पिता की मृत्यु 2 वर्ष पहले हो चुकी है। जब वह वह उस 13 वर्ष का था। A के पिता अभी जिंदा है।
A जब B से मिलने जाता है , तो B के दुख को देखकर बहुत रोता है। दिल से दुखी हो जाता है, और B को शान्त्वना देता है। B के दुःख में शामिल होता हैं।
यह Sahanubhuti (सहानुभूति) है। A, B के दुःख मेंं शामिल है लेकिन उसे यह पता या महसूस नहीं होता है कि बिना पिता के कैसे जीवन जिया जाता है?
जब C , B से मिलने जाता है, तो B पर जो बीत रही है। जिस दुख का B को महसूस हो रहा है तथा जिस घोर विपत्ति का बादल B पर आ चुका है, वह C को भी महसूस होता है , क्योंकि इस स्थिति से C , 2 साल पहले गुजर चुका है।
C जानता है, कि पिता का प्यार कैसा होता है। पिता की छांव में कैसे लालन पालन होता है। बिना पिता के जीवन कितना मुश्किल एवं आर्थिक विपदा से भरा होता है। यहां पर B एवं C की स्तिथि समान होती है।
First thoughts on Samanubhuti (समानुभूति) : जैसा मैं हूं , उसी प्रकार दूसरा भी है।
- यह घटना हमें यह नहीं समझने देती है , कि यह भिखारी , भीख क्यों मांग रहा है ?
- इसका मूल कारण क्या है?
- इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार है ?
Samanubhuti (समानुभूति ) जागृत होने पर भिखारी को भीख देते वक्त हम अपने को धन्य मानते हैं। हम उस अस्तित्व का धन्यवाद अदा करते हैं, कि तूने मुझे इस काबिल बनाया है, कि मैं किसी को दान देने की स्तिथि हूँ।
- में दान देकर किसी की सहायता कर सकूं। मेरा Samanubhuti का विचार या भाव प्रकट करता है, कि मैं कितना सौभाग्यशाली हूं, कि मैं किसी के काम आ सका।
मेरे होने का कुछ अर्थ है। इस प्रकार का Samanubhuti (समानुभूति ) का विचार मन के स्तर पर काम करता है। भिखारी का भला हो या ना हो , पर हमारा भला होता है। हम उधार बनते जाते हैं और अपने ही भाग्य का निर्माण करते जाते हैं।
Second thoughts on Samanubhuti (समानुभूति) : हम सभी अमर नहीं हैं ।
Samanubhuti (समानुभूति ) संबंधित कुछ अन्य विचार के बारे में चर्चा करते हैं। बात जब भिखारी की हो तो चलो मान भी लेते हैं कि हमें Samanubhuti का विचार रखना है।
जब बात office या work place में व्यवहार की बात आती है , तो हम Self Defense के role में आ जाते हैं। कहीं हम अपने आप को छोटा तो महसूस नहीं कर रहें हैं।
या दूसरा मेरा साथी मेरे से आगे निकल जायेगा। और हम कंपटीशन के बीच में शामिल हो जाते हैं।
किसी भी प्रकार से अपनी सफलता का मानक दूसरों द्वारा तय किए गए मानकों के हिसाब से अपने जीवन को जीने लगते हैं। इस प्रकार से हम एक डर में भी जीते हैं।
यदि हम हर पल दिमाग में Samanubhuti(समानुभूति ) का यह thought generate करें कि , हम सभी अमर नहीं हैं, तो हम इस अस्तित्व को जान जायेंगे। अर्थात हम अपने आप को जान जायेंगे की हम कौन हैं?
हम अमर नहीं हैं। एक दिन हम सभी ने यहाँ से चले जाना है। हम यहां कुछ समय के लिए आए हैं। यही हमारा जीवन है। हम से पहले भी लोग यहां आए और चले गए हैं।
हमारे बाद भी लोग आएंगे और चले जाएंगे, लेकिन यह विराट अस्तित्व हमेशा रहेगा।
हर चीज अपने आप वक्त खत्म होने पर इस अस्तित्व में मिल जाएगी और नयी चीज व जीवन बनता रहेगा।
इस thought process से हम अपने जीवन को नई दिशा में channelized कर सकते हैं, कि हम यहां पर limited time के लिए हैं। यहां पर हमारे आने का उद्देश्य क्या है ? मुझे जो लगता है वह इस प्रकार से .............
- आनंद के लिए।
- किसी की Help करने के लिए .
- इस जीवन प्रक्रिया को चलाने के लिए .
यदि हम अपनी मृत्यु को हमेशा याद रखते हैं। और हम नश्वर हैं , Empathy thought को याद रखते हैं, तो हम दूसरे व्यक्ति को भी समझ सकते हैं। दूसरे की भावनाओं की कदर कर सकते हैं। और संभव का माहौल तैयार कर सकते हैं। यही Samanubhuti (समानुभूति ) है।
In Conclusion :
हम हमेशा दूसरों के हिसाब से सफलता का मूल्यांकन करते आये हैं। क्या हमने कभी अपने गहराई झांककर कोशिश की है ? लेकिन सच्चा आनंद एवं सच्ची सफलता केवल Samanubhuti (समानुभूति ) भाव एवं विचार से ही ही मिल सकती है।
- हम अपने thought में बदलाव करना होगा , कि हम सब एक ही मिट्टी से बने हैं।
- हमारे अंदर एक ही inner life software काम कर रहा है।
- हम केवल सोच के स्तर पर अलग-अलग हैं।
- हमारा कंपटीशन किस से है और क्यों हैं ?
- इन विचारों पर जरा ध्यान दिया जाए , तो यह हमारी thought process को विस्तृत करता है।
मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सब कुछ दूसरों पर छोड़ दिया जाए, लेकिन अपनी खुशी,शांति और आनंद को सफलता से पहले स्थान देकर हम अपने सुखद भाग्य का निर्माण कर सकते हैं।
जरूरी नहीं है, कि सफलता हमेशा खुशी व शांति दे लेकिन ख़ुशी एवं शांति जरूर सफलता दे सकती है।
इस प्रकार Samanubhut के इन दो thoughts से से हम ख़ुशी एवं शांति जीवन में प्रवाहित कर सकते हैं।
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