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Hindi thoughts about save nature

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Hindi thoughts about save nature

आज मैं इस Blog के माध्यम से Some hindi toughts about save nature के बारे में चर्चा कर रहा हूं। 

हमारा शरीर पंचतंत्वो से मिलकर बना है। पृथ्वी, आकाश, जल,अग्नि, वायु। हम इन पंचतत्वों पर कभी भी, गहराई में ध्यान नहीं देते हैं। 

क्योंकि यह तत्व nature द्वारा हमें मुफ्त में मिलते हैं। कभी भी हमने इनकी कीमत  अदा नहीं की है।  इसलिए हम  इनको  नगण्य समझते हैं। 
इसी सोच के कारण  हम प्रकृति के संरक्षण या बचाने के  बारे में नहीं  सोचते हैं।  यही हमारी समस्या का मुख्य कारण है। 

Thoughts about save the nature 

Nature  को save  करने के बारे में विचार उत्पन्न करने से पहले, हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि...... 
  • हम कैसे जीवित हैं ? 
  • हमारे जीवन की  डोर तो  पेड़ों पर अटकी हुई है। 
यदि यह nature नहीं  हो , तो हमारा वर्चस्व, हमारा जीवन सब खत्म हो गया होता। जरा इस बात पर विचार करें ,कि हमें किसी जगह की यात्रा के दौरान सभी आवश्यक चीजों को अपने साथ ले जाना होता  है। 

क्या हम अपनी जीवन जीने के लिए  की हवा को भी साथ में ले जाने के लिए पैक करते हैं?  चाहे हम कहीं भी जाएं, कुछ जगहों को छोड़कर, हमें सामान्य जीवन में सांस लेने के लिए प्रकृति   ही हवा उपलबध करवाती है। 

अगर  हम इस बात को अपने दिमाग में  इस भाव  साथ  बो दें, कि nature हमारा भरण पोषण कर रही है तो , हमें nature को saving के लिए स्वयं ही आगे आना होगा। 

हमारा जीवन,  nature की एक अनमोल धरोहर है, तो हमें nature को save करने  के लिए विचार उत्पन्न नहीं करने होंगे, बल्कि अपना फर्ज समझकर प्राणो की तरह इस प्रकृति की रक्षा  करेंगें। 
 
इस nature को  save  करना हमारा कर्तव्य भी होगा, जैसे कि जीवन की रक्षा करना  होता है।  इस विचार को मन में धारण करना होगा की,  हमारी सांस का पेड़ पर अटकी है। 

पृथ्वी तत्व : क्या हमारा शरीर मिट्टी से बना है?

कैसे हम अपने जीवन को सुखी और आनंदित बना सकते हैं? हमें जितने  भी तत्व इस अस्तित्व में प्राप्त होते हैं,  सभी मिट्टी या पृथ्वी से मिले हैं। इनमें से सबसे प्रमुख तत्व है , मिट्टी । हमें  भोजन के रूप में जितने भी खाद्य पदार्थ या फल आदि  मिलते हैं, ये सभी  इसी मिट्टी से पैदा हुए हैं।
  • जब हम सभी पदार्थ इसी मिट्टी से पैदा हुए हैं, और भोजन के रूप में इन तत्वों को  हम अपने अंदर ले रहे हैं। तो क्या हम या हमारे शरीर के सभी अंग भी इसी मिट्टी का हिस्सा है नहीं हैं ?
  • क्या हमारा  शरीर भी मिट्टी  नहीं है?
  • अब आप कहेंगे कि शरीर में जान है, दर्द होता है या चलता फिरता बोलता है, और कह रहे हो कि मिट्टी है।  तो सही क्या  है ?
आइए इस प्रश्न का उत्तर जानने का प्रयास करते हैं। क्या मानव  और पेड़-पौधों  में कोई समानता या  अंतर है ?
  • पेड़ पौधों में और हम में एक मुख्य समानता है ,  जीवन का  आधार अर्थात सांस लेने की प्रक्रिया  है।
  • पेड पौधे सांस में  Carbondioxide लेते हैं और हम ऑक्सीजन लेते हैं।
  • पेड़ , खाद एवं पानी लेते हैं और हम भी खाद , पानी लेते हैं।
  • अंतर पेड पौधे एक ही जगह रहते हैं, लेकिन हम इधर उधर जा सकते हैं।
Nature  की Save  ही आत्मरक्षा है|
एक ही बगीचे में निम्न प्रकार की फसलें हैं।

  • आम का पेड़ में आम लगे हैं।
  • मिर्च  के पौधे लगी है ।
  • गाजर की फसल पैदा हो रही है।
  • करेले की फसल हो रही है।
  • फूलों  की खेती हो रही है 

आप बताइए कि एक ही खेत में एक ही मिट्टी  आम में बदल रही है एवं मीठा आम पैदा हो रहा है।
  • इसी  खेत में  इसी  मिट्टी से  मिर्ची की फसल पैदा हो रही है, और मिर्च का स्वाद तीखा एवं तेज है।
  • इसी  खेत में  उसी  मिट्टी से गाजर की फसल तैयार हो रही है, और गाजर का स्वाद  मीठा  है 
  • इसी  खेत में  उसी मिट्टी से करेला तैयार होकर एकदम आम के विपरीत स्वाद  दे रहा है।
  • इसी  खेत में  उसी मिट्टी से  विभिन्न प्रकार रंग विरंगे फूल  तैयार  है।  इन फूलों में  विभिन्न प्रकार की खुशभू भी पैदा होकर वातावरण को खुशनुमा कर रही है 
आप बताइए कि एक ही खेत में एक ही मिट्टी   इतने सारे रूपों में बदल रहे है।  कैसे ?
  • वह क्या चीज है ? जो एक ही खेत  की मिट्टी से फसल के अलग-अलग फ्लेवर उत्पन्न कर रहा है ।
  • जबकि मिट्टी और पानी खाद पदार्थ में तो कोई अंतर नहीं है।
वह है , बीज  का Inner  life software ,  जो बीज के जीन के अनुसार मिट्टी को उसी गुण या जीन के अनुरूप फसल में  बदल रहा है।

Save nature with pure thought

जब इस मिट्टी से इतने सारे स्वाद निकलते हैं, तो क्या हम  nature पर निर्भर नहीं होते ? यदि  हमारा शरीर इस मिट्टी से बन रहा है, तो  हमारा दायित्व नहीं बनता है ,  कि हम nature को  save करने  के लिए मुहीम छेड़ें।   क्या हमें nature  को नहीं बचाना चाहिए? 

क्या यह धर्म नहीं बनता है की,हम nature को जीवन समझकर इसकी रक्षा के लिए  आएं? क्या यह   हमारा कर्तव्य नहीं है, कि हम इस धरती को बचाने की पूरी कोशिश करें? 

जिस प्रकार से  प्रकार से  मानव प्रकृति विरोधी कार्य कर रहा है,ऐसा लगता है ,कि मानव इस पृथ्वी का प्राणी नहीं है।  मानव आक्सीजन की लेकर  कार्बनडाइऑक्सइड गैस  बाहर निकाल रहा है। 

Natural therapy : love with nature 

  • nature का धन्यवाद क्यों करे ? 
  • nature को क्यों बचाया जाना चाहिए ? 
ऐसे प्रश्नो के उत्तर हमें स्वयं से पूछने चाहिए।   हम प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाकर nature से प्यार करना सीख सकते हैं। 

इस विचार को nature के संरक्षण के लिए  सभी के द्वारा अपनाया जा सकता है। जब भी हम परेशान, तनावग्रस्त या संतुलित नहीं होते हैं , तो हम निम्नलिखित प्रक्रिया को अपना सकते हैं।

  • जमीन और मिट्टी को संपर्क में बैठकर कुछ समय बिताएं।
  • सबसे पहले पृथ्वी का शुक्रिया  करें। इस मिटटी का  धन्यवाद अदा करें।
  • पेड़ पौधों का धन्यवाद करें। पेड़ पौधों के नीचे जाकर कुछ समय बिताएं।
  • पेड़ की पत्ती तोड़कर 2 मिनट ध्यान से देखना शुरू करें। 
  • पेड़ की पत्ती को हाथ में लेकर 5 मिनट तक प्रणाम  की अवस्था में बैठे।  Smart phone को दूर रख कर। 
  • ऐसा करते वक्त केवल उस पत्ती का या इस  nature का धन्यवाद्  का thought  अपने मन में लाएं , और शांत बैठे। 
  • एक पत्ती पेड़ का पूरा inner software  अपने अंदर  रखती है।  हमारी  साँस इसी प्रकार की पत्ती से चलती है।  
  • सुबह-सुबह नंगे पांव मिट्टी में चलकर  समय बितायें। nature save के लिए ऐसे thought हमें अंदर से मजबूत करते हैं। 


Results :
  • जो भी अनुभव आपके साथ घटित होगा वह अनुभव आपका होगा , और 100% Positive होगा। 
  • आपका Mind relaxed होगा।
  • आपकी Body recovery mod में आ जाएगी।
  • आपकी inner strength and  immune system बेहतर होगा।
  • Brain का Stress कम होगा।
  • Brain में relax और शान्ति का अनुभव होगा ।
  • BP कम होगा।
इन thoughts के साथ हम nature   से समन्वय बिठा सकते हैं।  यही  thought  हमें अंदर से nature  को save  करने में मदद कर  सकते हैं।  

Save water Save Nature  स्वच्छ जल ही जीवन है!

जल , nature का तीसरा तत्व है। पानी हमारे जीवन का आधार है। क्या पानी के बिना जीवन संभव  है ?  पेड़ पौधे बारिश के लिए जिम्मेदार हैं। पत्तियों का रोल इस कारण से महत्वपूर्ण हो जाता है। यह वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया  मदद करता है? 

पेड़ों की जड़ें पानी को धारण करने की क्षमता  प्रदान करती हैं। ये सभी विचार हमें nature को  Save  में सहायक हो सकते हैं।  हमें  अपने स्वभाव में एवं व्यवहार में nature  को Save का बीज आज ही बोना  चाहिए।  

nature के संबंध में हम जितना कर सकते हैं। आज ही करना चाहिए , कल कभी नहीं आता है।  
हम  जितना ज्यादा nature के साथ समन्वय स्थापित करते हैं  उतना  ही हम nature  के प्रभाव में होते चले जाते हैं।  

यह एक प्रकार से nature Saving  का ही विचार है , कर्म है।  हमारी सारी समस्याओं का समाधान nature के पास हैं।  बस जरूरत है nature पर विश्वास करने की , nature को   save करने   की जरूरत है। 

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